अल्लाह ने पवित्र कुरान में दिये हैं मुस्लिम पति को पत्नियों को पीटने के आदेश
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लेखक-जितेंद्र खुराना, www.Jitenderkhurana.com
जितेंद्र खुराना HinduAbhiyan.com के संस्थापक और हिन्दू जागरण अभियान के संयोजक हैं। वे हिन्दू समाज के जागरण और वैदिक विषयों पर लेखक एवं विभिन्न समाचार चैनलों पर हिन्दू विषयों, धर्मांतरण और हिन्दू समाज पर बड़ रहे संकटों पर प्रमुख वक्ता हैं।
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पवित्र क़ुरान इस्लाम का मजहबी ग्रंथ है और अल्लाह के द्वारा हज़रत पैगंबर मौहम्मद साहब के माध्यम से मुस्लिमों के लिए संदेश और आदेश है। पवित्र क़ुरान से ही इस्लामी जीवन पद्धति और नियम निकलते हैं। शरीयत का आधार भी पवित्र क़ुरान ही है और अगर कोई मुस्लिम पवित्र कुरान की एक भी आयत से पथभ्रष्ट अर्थात उसके बताए आदेश से अलग जाता है तो वह कयामत के बाद जहन्नुम का भागी हो जाता है। सीधे शब्दों में पवित्र कुरान अल्लाह के अपने आदेश हैं।
निरंतर समाचार चैनलों पर मेरी मौलनाओं से साक्षात चर्चा होती रहती है और मैं अपने अध्ययन के आधार पर बात कहता रहता हूँ। पिछले कुछ समय से तीन तलाक और इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों की चर्चा भी चल रही है। मैं इस लेख में पवित्र कुरान की एक आयत 4-34 के बारे में बताना चाहता हूँ। मैं मुस्लिमों की मज़हबी भावना का सम्मान करता हूँ और यहाँ मेरा उद्देश्य पवित्र कुरान की इस आयत के बारे में केवल बताना ही है। मेरा उद्देश्य बिलकुल किसी भी प्रकार की आपति करना नहीं किन्तु मात्र बताना है और क्योंकि इससे अधिक मेरा कोई अधिकार नहीं है और न ही मेरी कोई बिसात है।
पवित्र क़ुरान की आयत 4-34 में अल्लाह ने मुस्लिम पति को अपनी पत्नी को पीटने के अधिकार और आदेश दिया है। और पाठकों को ये संदेश अच्छी तरह बताने के लिए मैं पवित्र क़ुरान के 3 अलग-अलग प्रकाशकों द्वारा छापी गई अल्लाह की किताब “पवित्र क़ुरान” के 4 अलग-अलग संस्करणों से क़ुरान 4-34 यहाँ लिख रहा हूँ।
कृपया पड़ें।
(1)
पवित्र क़ुरआन
अनुवाद
मौलाना मुहम्मद फ़ारुक़ खाँ
प्रकाशक-
मधुर संदेश संगम
अबुल-फज़ल ईंकलेव, जामिया नगर, नई दिल्ली-25
कुरान 4-34
पति पत्नियों के संरक्षक और निगराँ हैं, क्योंकि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ के मुक़ाबले में आगे रखा है, और इसलिए भी कि पतियों ने अपने माल खर्च किए हैं, तो नेक पत्नियाँ तो आज्ञापालन करने वाली होती हैं और गुप्त बातों की रक्षा करती हैं, क्योंकि अल्लाह ने उनकी रक्षा की है। और जो पत्नियाँ ऐसी हों जिनकी सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ और बिस्तरों में अकेली छोड़ दो और (अति आवश्यक हो तो) उन्हे मारो भी। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लगें, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूंडो। अल्लाह सबसे उच्च, सबसे बड़ा है।
(2)
अनूदित क़ुरआन मजीद
मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी (रहo)
हिन्दी अनुवाद
मौलाना मुहम्मद फ़ारुक़ खाँ
प्रकाशक-
मर्कज़ी मक्तबा इस्लामी पब्लिशर्स,
दावत नगर, अबुल फज़ल इंकलेव, जामिया नगर, नई दिल्ली-25
कुरान 4-34
मर्द औरतों के मामलों के ज़िम्मेदार हैं, इस आधार पर कि अल्लाह ने उनमें से एक को दूसरे के मुक़ाबले में आगे रखा है, और इस आधार पर कि पुरुष अपने माल खर्च करते हैं। अतः जो भली औरतें हैं वे आज्ञाकारी होती हैं और मर्दों के पीछे अल्लाह की रक्षा और संरक्षण में उनके अधिकारों की रक्षा करती हैं। और जिन औरतों से तुम्हें सरकशी का भय हो उन्हें समझाओ, सोने के जगहों (ख्वाबगाहों) में उनसे अलग रहो और मारो, फिर अगर वे तुम्हारी बात मानने लगें तो अकारण उनपर हाथ चलाने के लिए बहाने तलाश न करो, यकीन रखो कि ऊपर अल्लाह मौज़ूद है जो बड़ा और सर्वोच्च है।
(3)
क़ुरआन मजीद
अनुवादक
हज़रत मौलाना अशरफ़ अ़ली़ थानवी रहo
हिन्दी लिप्यंतरण
मौलाना मुहम्मद इमरान क़ासमी बिज्ञानवी
प्रकाशक-
इस्लामिक बुक सर्विस (प्राo) लिo
दरिया गंज, नई दिल्ली
मर्द हाकिम हैं औ़रतों पर, इस सबब से कि अल्लाह तआ़ला ने बाज़ों को बाज़ों पर फ़ज़ीलत दी है, और इस सबब से कि मर्दों ने अपने माल ख़र्च किए हैं, सो जो औ़रतें नेक हैं इताअ़त करती हैं, मर्द की गै़र मौजूदगी में अल्लाह की हिफ़ाज़त से निगरानी करती हैं, और जो औ़रतें ऐसी हों कि तुमको उनकी बद-दिमाग़ी का अंदेशा हो तो उनको ज़बानी नसीहत करो और उनको उनके लेटने की जगहों में अकेला छोड़ दो, और उनको मारो, फिर अगर वे तुम्हारी इताअ़त करना शुरू कर दें तो उनपर बहाना मत ढूँडो, बेशक अल्लाह तआ़ला बड़ी बुलन्दी और बड़ाई वाले हैं।
(4)
The Quran
Sayyid Abul Ala Maududi
Translated and Edited by – Zafar Ishaq Ansari
Markazi Maktaba Islami Publishers
Abul Fazal Enclave, Jamia Nagar, New Delhi
Quran 4-34
Men are the protectors and maintainers of women because Allah has made one of them excel over the other, and because they spend out of their possessions (to support them). Thus righteous women are obedient and guard the rights of men in their absence under Allah’s protection. As for women of whom you fear rebellion, admonish them, and remain apart from them in beds and beat them. Then if they obey you, do not seek ways to harm them, Allah is Exalted, the Great.
पाठक यहाँ पड़ सकते हैं कि यहाँ पत्नियों के लिए स्थितियाँ “आज्ञाकारी” और “मर्द की गै़र मौज़ूदगी में अल्लाह की हिफ़ाज़त से निगरानी” बताई गई हैं और ईन स्थितियों में उल्लंघन होने से मुस्लिम पति का ये अधिकार हो जाता है कि वह अपनी पत्नी को पीटे अथवा मारे। पत्नी को मारने से पहले समझाना और बिस्तरों में अकेला छोडने का नियम है। उसके बाद पत्नी के आज्ञा न मानने पर मुस्लिम पति को अपनी पत्नी को मारने का अधिकार है।
इस विषय पर कई मुस्लिम देशों में फतवे भी जारी हो चुके हैं। भारत के इस्लामी विद्वान ज़ाकिर नाइक ने भी अपने भाषणों में इस बात को स्वीकारा है। किन्तु समाचार चैनलों पर कई मौलाना-मौलवी किसी फतवे को किसी की निजी राय बता कर सत्य को छुपा जाते हैं और झूठ बोल देते हैं। किन्तु ये अनुवाद का विषय नहीं है क्योंकि ये ही सही अनुवाद है और क़ुरान 4-34 को पूरे विश्व की किसी भी पवित्र क़ुरान में देखा जा सकता है। मैंने भी विस्तार से बताने के लिए पवित्र क़ुरान के 3 अलग-अलग प्रकाशकों से संदर्भ दिये हैं।
इस्लाम मुस्लिमों का मजहब है और इसलिए उनके मजहब में क्या आदेश हैं ये उनका विषय है, किसी अन्य का नहीं। किन्तु मेरा हिन्दू पाठकों से ये निवेदन है कि कोई भी हिन्दू लड़की जो किसी मुस्लिम लड़के से प्रेम-संबंध में है तो उसे पवित्र क़ुरान की आयत 4-34 के बारे में पता होना चाहिए। और आपका भी कर्तव्य है कि आप अपनी सीमाओं के बाहर जाकर सभी को ये बताएं। और जिस हिन्दू लड़की का किसी मुस्लिम लड़के से विवाह हो चुका है तो भी उसे ये पता होना चाहिए कि उसके पति की मज़हबी भावना क्या है। इसके बाद भी सभी निर्णय प्रत्येक के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि भारत के संविधान ने सभी को अपने निर्णय लेने का अधिकार दिया।
(In case of any dispute, Subjected to Delhi Jurisdiction Only)
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