इन वैदिक मंत्रों से आपके परिवार और संगठन में एकता आएगी
अथर्ववेद 3.30.5
वृद्धों का सम्मान करो, चित्त में शुभ संकल्प धारण करो। उत्तम सिद्धि तक प्रयत्न करो। आगे बड़ कर अपने सिर पर कार्य भार लो और आपस में विद्वेष न बड़ाओ। परस्पर प्रेमपूर्वक मिलकर वार्ता करो। मिल जुल कर पुरुषार्थ करने वाले बनो। इसलिए तुम्हें उत्तम मन से युक्त बनाया है।
अथर्ववेद 3.8.4
तुम सब यहाँ एक विचार से रहो। परस्पर विरोध करके एक दूसरे से दूर न हो जाओ। अपने पास अन्न रखने वाला कृषक और गौओं का पालन करने वाला और सबकी पुष्टि करने वाला वैश्य सभी को एक साथ करके लाये। एक इच्छा की पूर्ति करने के लिए प्रयत्न करने वाली सब प्रजाओं को सब देव एकता के विचार से युक्त करें। अर्थात राष्ट्र निर्माण व राष्ट्र रक्षा के लिए हम सभी परस्पर एक मत हों। सुसंगठित हों।
अथर्ववेद 3.8.5
हे मनुष्यों, तुम अपने मन एक करो। तुम्हारे कर्म एकता के लिए हों। तुम्हारे संकल्प एक हो जिससे तुम संघ शक्ति से युक्त हो जाओ। जो ये आपस में विरोध करने वाले हैं, उन सबको एक विचार से एकत्र हो झुका देते हैं। अर्थात हम मन, कर्म, वचन एवं संकल्प से एक हों एवं विरोधी विचार वालों को भी प्रभावित कर अपने विचार का बनाकर संगठित हों। इसी में राष्ट्र शक्ति निहित है।
उपरोक्त वैदिक मंत्रो से ये प्रमाणित है कि आर्यों अर्थात हिन्दुओं का धार्मिक कर्तव्य है कि वे राष्ट्र की ओर निष्ठा रखते हुए एवं कानून का पालन करते हुए समाज के दुष्ट शत्रुओं का संहार करें। इन वैदिक मंत्रों के पालन से ही ईश्वर के दर्शन प्राप्त होते हैं और सभी मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती हैं ।