अद्धभूत अध्यात्मिकता, ज्ञान और व्यक्तित्व के धनी-स्वामी श्रीअविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज
आज के पावन दिवस पर देश के सभी हिंदुओं को ज्योतिर्मठ पीठ और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य पू स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के शिष्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज के बारे में जानना चाहिए। आज ही क्यूँ? इसका उत्तर लेख में मिलेगा। स्वामी श्री जी मुख्यतः धर्मनगरी काशी में श्री शंकराचार्य घाट किनारे श्री विद्यामठ में विराजमान रहते हैं। परंतु उनका धर्म कार्यक्षेत्र पूरा उत्तर भारत है और सनातन धर्म के कार्यों के लिए वे सदा गतिशील और क्रियान्वत रहते हैं। उनके बारे में लिखने का सामर्थ्य तो मुझमे नहीं है, किन्तु मेरा जो भी उनके सानिध्य में उनके साथ अनुभव रहा है, उसके आधार पर मैं अपने विचार लिख रहा हूँ।
पहली बार मुझे उनके दर्शन प्रयाग में माघ मेले में गंगा किनारे श्री मनकामेश्वर मंदिर में हुए थे, वर्ष संभवतः 2015 होगा और उसके बाद मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे उनका सानिध्य प्राप्त हुआ।
समय के साथ उनके कार्यों को देखते हुए मुझे सबसे पहले ये आश्चर्य हुआ कि वे प्रातः से लेकर देर रात तक धार्मिक कार्यों में लीन रहते हैं, अनेकों लोग उनसे भेंट, चर्चा करने और उनसे विभिन्न विषयों पर मार्ग दर्शन लेने आते हैं, पर वो थकते नहीं! सूर्योदय के साथ स्नान आदि के बाद ईश्वर की पूजा अर्चना के साथ उनका दिन आरंभ होता है, फिर वे श्री विद्यामठ में वेद शास्त्र पड़ने आए बटुक विद्यार्थियों को शिक्षा देते है, स्वयं अध्ययन करते हैं, वर्तमान में धर्म के विषयों और आ रही समस्याओं के निवारण के लिए कार्य करते हैं, अनेकों विद्वान उनसे मार्गदर्शन लेने आते हैं, श्री विद्यामठ के अन्य व्यवस्थाओं पर ध्यान देते हैं, शिष्यों व भक्तों को आध्यात्मिक प्रवचन देते हैं, संध्या को सूर्यास्त के साथ ही मौन हो जाते है, पर फिर भी मौन की अवस्था में भी धार्मिक कार्यों मे लीन रहते हैं, पर थकते कभी नहीं। मोदी जी के समर्थक और भाजपा नेता अधिकतर मोदी जी के 16-18 घंटे काम करने के गुण गाते हैं, अच्छी बात है, पर मेरे अनुसार स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी 18-20 घंटे काम करते हैं। मैं उन्हे कार्य करते देखते देखते थक जाऊंगा, पर वे कार्य करते करते नहीं थकेंगे।
उनका कार्य मात्र शारीरिक नहीं है, बल्कि उनका अधिकतर कार्य मानसिक है क्यूंकी वे धर्मग्रन्थों के अध्ययन, अध्यापन और विभिन्न धार्मिक विषयों से जुड़ें प्रश्नो के उत्तर का कार्य करते हैं। ऐसे में मस्तिष्क भी थकता है, पर मैंने उनके मुख पर कभी मानसिक थकान भी नहीं देखी। यह तभी संभव है जब कोई व्यक्ति मानव शरीर में दिव्य पुरुष हो, ईश्वर और गुरुदेव का विशेष आशीर्वाद हो।
मुझे आज भी वह क्षण स्मरण है जब गंगा में गणेश विसर्जन की मांग करते हुए उन पर काशी की पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, उन्हे व अनेकों शिष्यों को दयाविहीन होकर लाठी से मारा गया था। स्वामी श्री ने उफ़्फ़ तक नहीं करी और वे हाथ ऊपर करके स्थिर खड़े होकर पुलिसकर्मियों को बोले कि “….मारीये…मारीये”! हिंदुओं के इतिहास में कदाचित वह सबसे काले दिनों मे से एक था। उस दिन मात्र सुदर्शन न्यूज़ के चेयरमेन श्री सुरेश चव्हाङ्के जी ने इस विषय को अपने समाचार चैनल पर उठाया था और शाम को 8 बजे मुख्य समय पर मेरी सुदर्शन न्यूज़ पर स्वामी श्री पर काशी पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज पर चर्चा हुई थी। उस चर्चा में उत्तरप्रदेश की अखिलेश यादव सरकार की भी निंदा करी गई थी। उस चर्चा के अंश इस विडियो में भी देख सकते हैं।
2018 में काशी विश्वनाथ नाथ कॉरीडोर और सौन्दर्यकरण के नाम पर जब काशी में मंदिरों का विध्वंस आरंभ हुआ तो स्वामी श्री ने “मंदिर बचाओ आन्दोलनम” चलाया और यह आंदोलन अपने आप में 1 इतिहास है। कैसे मंदिर ढयाए गए, कैसे शिखर तोड़े गए, पौराणिक विग्रह कहाँ गए, कैसे लोगों से घर खरीदे गए, इस पर तो 10 घंटे का चलचित्र भी छोटा पड़ेगा। इस कॉरीडोर के समर्थकों द्वारा ये बात फैलाई कि कोई मंदिर नहीं टूटा, तो स्वामी श्री ने खुली चुनौती दी कि यदि कोई यह प्रमाणित कर दे कि कोई मंदिर नहीं टूटा तो उसे 1 करोड़ रु का पुरस्कार देंगे। आज तक किसी माई के लाल ने इस पुरस्कार को पाने का साहस नहीं दिखाया और मंदिर नहीं टूटा बोलने वाले अपने बिलों में छुपे बैठे हैं। इस लेख में मैं यह भी लिख दूँ कि मैंने काशी विश्वनाथ कोरीडोर में स्वयं जाकर सब देखा है और अधर्मियों को महादेव स्वयं दंड देंगे। वह समय निकट ही है।
मंदिर बचाओ आन्दोलनम स्वामी श्री ने अपनी जान पर खेलकर चलाया था और आज जो भी पौराणिक मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट बचे हैं, वह मात्र और मात्र स्वामी श्री के कारण हैं। यह भारत के हिंदुओं के दुर्भाग्य ही है कि जब सत्ताधारी पार्टी काशी विश्वनाथ कॉरिडॉर में तोड़फोड़ कर रही थी, तब सारा विपक्ष भी मौन के घूँघट में मुंह छुपाए बैठा था, और बिक चुके मीडिया पर तो कुछ कहना ही समय नष्ट करना है।
वर्ष 2018 से स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने काशी में प्रथम परम धर्मसंसद 1008 का आयोजन कराया और यह शृंखला 2019 में दूसरी परम धर्म संसद प्रयाग में अर्धकुम्भ में हुई। 2019 की परम धर्म संसद में श्री राम जन्मभूमि सहित कई विषयों पर चर्चा हुई। इस परम धर्म संसद 1008 का उद्देश्य प्रत्येक जिले में 1 धर्मांसद निर्धारित कर उसे धर्म के रक्षक के रूप में स्थापित करना और भारत के प्रत्येक कोने में धर्म की पताका और शासन स्थापित करना है। परम धर्म संसद की android app प्लेस्टोर से PDS 1008 लिख कर download कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में श्री राम जन्मभूमि केस में भी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी की प्रमुख भूमिका रही है। राजनीति का प्रकोप है कि सत्य को दबाया गया है, पर सत्य यह है कि सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम जन्मभूमि केस में सुनवाई के अंतिम दिन से 1 दिन पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा छोड़ा तो उसमें पू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज की ओर से स्वामी श्री की प्रमुख भूमिका रही। मात्र पू शंकरचार्य द्वारा गठित श्री रमजन्मभूमि निर्माण समिति और निर्मोही अखाड़े के प्रयासों से श्री राम जन्मभूमि का कार्य सम्पन्न हुआ है, शेष तो बस राजनीति ही है।
सुप्रीम कोर्ट के श्री राम जन्मभूमि केस में निर्णय के बाद भी स्वामी श्री ने माघमेले 2020 प्रयाग में रामलला के श्री राम जन्मभूमि मंदिर का सर्वश्रेष्ठ मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमे 50 लाख लोगों की व्यवस्था, प्रतिदिन 1 लाख लोगों के भोजन प्रसाद की व्यवस्था, अंडरग्राउंड पार्किंग, ऑडिटोरियम, amphitheatre, पवित्र सरयू नदी की जल धारा भी थी। किन्तु मंदिर ट्रस्ट ने दूसरे मॉडल को स्वीकार किया। शायद ये राजनीति का प्रभाव ही था, किन्तु दोनों मॉडल देख कर कोई भी बता देगा कि कौन सा मॉडल श्रेष्ठ है। इस मॉडल की सभी जानकारी स्वामी श्री के फेस्बूक पेज पर देखी भी जा सकती है।
यहाँ यह बताना बहुत आवश्यक है कि श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने मंदिर बनाने से पहले ट्रस्ट का Logo बनाया था, और वे लोग Logo भी ठीक से न बना सके। स्वामी श्री ने ही उस Logo को देख उसकी त्रुटियाँ बताकर उसे तर्कपूर्ण, सात्विक और आध्यात्मिक बनवाया।
पड़ें
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जतायी श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोगो पर आपत्ति-अयोध्या
https://www.amarujala.com/lucknow/shriramjanm-bhoomi-teerth-kshetra-issued-new-logo-of-trust
स्वामी श्री द्वारा लोगो में भारी त्रुटि होने के कारण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय जी को सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी और logo ठीक कराया गया। यहाँ बहुत बड़ी गलती ये भी सामने आयी कि 100 करोड़ हिंदुओं के आस्था के प्रतीक श्री राम जन्मभूमि मंदिर के नए ट्रस्ट ने धर्म की जानकारी न रखने वाले संगठन के युवा कार्यकर्ताओं की कल्पना मात्र से बनाए Logo को बिना जांच के अपना लिया। और संगठन/ट्रस्ट के ये युवा कार्यकर्ता कौन हैं, क्या सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट में युवा कार्यकर्ता रखने का भी प्रावधान दिया है? जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में ऐसा कुछ नहीं है। तो ट्रस्ट युवा कार्यकर्ता रख कर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर रहा था।
आजकल स्वामी श्री प्रातः 5 बजे से भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा रचित ग्रन्थों के पाठ और उनका अर्थ समझते हैं जिसे साक्षात उनके फेस्बूक पेज पर देख सकते हैं।
https://www.facebook.com/avimukteshwaraanandah/
साथ ही वे जिज्ञासुओं के धर्म से संबन्धित प्रश्नों के उत्तर देते हैं, वह भी उनके फेस्बूक पेज पर साक्षात देख सकते हैं और उनके यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते हैं।
https://www.youtube.com/channel/UCGSneKADR6fhEEg7rIGlgNA
आज स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज का जन्मदिवस है। इस पवन अवसर पर मैंने यह लेख लिख कर 1 छोटा सा प्रयास किया है और यही मेरी ओर से उन्हे उनके जन्मदिवस पर हार्दिक भेंट है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी को आयुष्मान और सदा स्वस्थ रखे और वे ऐसे ही सदा धर्म के साक्षात स्तम्भ के रूप में हिंदुओं को सनातन वैदिक धर्म के ज्योति दिखाते रहें।
स्वामी श्री अवुमुक्तेश्वरानंद जी के चरणों में नमन
पू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी को नमन
भगवान आदि शंकराचार्य को नमन