सुनो वामपंथ की लंपट औलादों, चलो आज सीधा सीधा लिख मारते हैं
ऐसे ही खुर्शीद अनवर का केस हुआ था। साहब पर नार्थ-ईस्ट की एक लड़की से बलात्कार का आरोप था। अनवर साहब जेएनयू के निवासी थे। फिर क्या था। रुसी वोदका के कांच में धंसे सारे के सारे वामपंथी। उस बेचारी नार्थ ईस्ट की लड़की की इज्ज़त आबरू का कीमा बनाने पर उतर आए थे। एक से बढ़कर एक बड़े नाम। स्वनाम धन्य वामपंथी। बड़ी-बड़ी स्त्री अधिकार समर्थक वामपंथी महिलाएं। सब मिलकर उस बेचारी लड़की पर पिल पड़े थे। वो स्टोरी मैंने की थी। बड़े गर्व के साथ लिख रहा हूँ। उस केस में पुलिस की एफआईआर थी। लड़की की शिकायत थी। मेरे पास पीड़िता का इंटरव्यू था। राष्ट्रीय महिला आयोग की चिट्ठी थी। आरोपी खुर्शीद अनवर के अपने ही एनजीओ की कई महिला पदाधिकारियों की उनके खिलाफ इसी मामले में लिखी ईमेल थी। ये सब हमने चलाया। खुर्शीद का वो इंटरव्यू भी जिसमें वो सीधी चुनौती दे रहे थे कि पीड़ित लड़की में दम हो तो सामने आए। शिकायत करे। वो सामना करेंगे। लड़की आगे आई। शिकायत भी की। पर खुर्शीद अनवर सामना करने के बजाए छत से कूद गए।
भाई साहब, ये पूरी की पूरी वामपंथी लॉबी जान लेने पर आमादा हो गई। कई वामपंथी वोदका में डूबे पत्रकार ‘केजीबी’ की मार्फत पीछे लगा दिए गए। जेएनयू को राष्ट्रीय शोक में डूबो दिया गया। शोर इतना बढ़ा कि दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल टीम नार्थ ईस्ट रवाना की गई। ये केंद्र में यूपीए के दिन थे। वरना तो पूरी की पूरी सरकार हिला दी जाती। मैं आज भी उस नार्थ ईस्ट की लड़की की हिम्मत की दाद देता हूँ। तमाम धमकियां और बर्बाद कर देने की वामपंथी चेतावनियों को नज़रंदाज़ करती हुई वो दिल्ली पुलिस की टीम के साथ मजिस्ट्रेट के आगे पहुंची और सेक्शन 164 crpc के तहत कलमबंद बयान दर्ज कराया कि खुर्शीद अनवर ने उसके साथ न सिर्फ रेप किया, उसे sodomise भी किया। एक झटके में सारे वामपंथी मेढ़क बिलों में घुस गए। हालांकि टर्र टर्र अभी तक जारी है। उस बिना बाप की लड़की की आंखो में जो धन्यवाद का भाव देखा वो आज भी धमनियों में शक्ति बनकर दौड़ता है। इस हद तक कमीनापन देख चुका हूँ इंसानियत के इन वामपंथी बलात्कारियों का।
Continued..