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पूरे देश में सनातन धर्म का वातावरण सिर्फ छत्तीसगढ़ में दिखाई देता है: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज - Hindu Manifesto

पूरे देश में सनातन धर्म का वातावरण सिर्फ छत्तीसगढ़ में दिखाई देता है: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज

प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक:- 21/10/22

बिलासपुर। ऐसे पूरे देश में जाने का अवसर हम लोगों को मिलता है, लेकिन चाहे कहीं भी रहें जैसे जो लोग अपना घर छोड़कर बाहर जाते हैं और त्यौहार का अवसर आता है तो घर आ जाते हैं, कुछ ऐसी परिस्थिति हम लोगों की भी है, जब दिवाली का त्यौहार आता है तो मन करता है कि छत्तीसगढ़ चलें। छत्तीसगढ़ अपने घर जैसा लगता है। पूरे देश में सनातन धर्म का वातावरण अगर कहीं दिखाई देता है तो वह छत्तीसगढ़ है। आज भी गांव से निकलो तो गौ स्थान दिखाई देते हैं, गाय चरती हुई दिखाई देती हैं, तालाब में स्नान करते लोग दिखाई देते हैं यह यहां ही दिखाई देता है अन्यत्र दुर्लभ है। पुराणों में जिन दृश्यों का वर्णन है, जो हमारी परंपरा रही है वह दृश्य आज भी व्यवहार में जिंदा है। इन सभी कारणों से हम लोगों को छत्तीसगढ़ अपना सा लगता है, और त्यौहार में यहां आने का अवसर होता है। इस बार कवर्धा जा रहे थे दिवाली के लिए तो हरिश शाह जी ने अनुरोध किया कि बिलासपुर होते हुए जाइए तो हम उनके प्रेम और अनुग्रह को स्वीकार किया और यहां आए अच्छा लगा।

वह कौन से काम अधूरे रह गए हैं जो आपको पूरा करना है पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ब्रम्हलीन स्वामी श्री स्वरूपा नंद सरस्वती महाराज देश के ऐसे धर्माचार्य थे जिन्होंने सनातन धर्म को बहुत ऊंचाई प्रदान की। अनेक ऐसे कार्य उनके द्वारा संपादित हुए, जिससे सनातनधर्मियों का मनोबल बढ़ा, उनके अंदर गौरव की भावना बढ़ी और भारत मजबूत हुआ। यह सही है कि बहुत कुछ उन्होंने किया और बहुत कुछ करेंगे, जो मन था और पूरा नहीं हुआ है उसे पूरा करना हम लोगों का दायित्व है। उनके बीमारी के दौरान उन्होंने दो बातें प्रकट की थी, ज्योतिर्मठ में 100 बिस्तर का अस्पताल बनाना और भारत में भारतीयता की रक्षा के लिए जरुरी है कि प्राचीन गुरुकुल प्रणाली को फिर से प्रस्तुत किया जाए। इसके लिए एक परिसर जिसमें 10 हजार विद्यार्थी एक साथ रहें गुरुकुल प्रणाली से अध्ययन करें। हम लोग इन दोनों कार्यों को प्राथमिकता से लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
ब्राह्मण वेदों से पतित होते जा रहे हैं इसके लिए भी क्या छत्तीसगढ़ में गुरुकुल खुलेगा इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जिन गुरुकुल की बात हम यहां कह रहे हैं उसके लिए अभी स्थान तय नहीं है। इसके लिए बहुत बड़ा प्लाट चाहिए, जल्द ही जगह तय हो जाएगा, लेकिन जहां भी खुलेगा वह देश का प्रतिनिधित्व करेगा।

साधुओं की हत्याओं पर उन्होंने कहा कि हमारे साधुओं की हम खोज खबर लें। क्योंकि यह समस्या उतना आसान भी नहीं है, जितना दिखाई दे रहा है। उसके साथ और भी कई समस्याएं हैं। साधु आकर मिल रहे हैं, उन्हें परिस्कृत करना होगा। इसलिए साधुओं की गणना करेंगे, उनका लेखा जोखा और पंजीकृत करेंगे, जिससे उनकी पहचान हो जाएगी, इसके बाद उनके संरक्षण का भी प्रयास किया जाएगा। एक अच्छे देश में सुंदर राजा के द्वारा रक्षित है चिंटी पर भी हमला नहीं होना चाहिे। राम राज्य में तो कुत्ते को डंडा मारने पर मुकदमा चल गया था, तब राम राज्य कहा गया। सामान्य से नागरिक पर हमला होता है तो यह प्रशासन के लिए लज्जा की बात है।  यहां साधु महात्मा तो ऐसे होते हैं जो किसी के लिए खतरा नहीं होते। वे तो सबके हित की बात सोचते हैं। उन पर अगर हमला हो रहा है तो यह बहुत सोचना वाली बात है। एक के बाद एक हमले हो रहे हैं, सरकारें आंख बंद करके रखी हैं। उन्होंने यह भी बताया है गुरु जी ने आदेश दिया था कि पूरे विश्व के सनातन धर्म के लिए एक संस्थान बनाओ जो एक साथ संगठित और ढांचागत रूप में काम करे। इस आदेश पर हमने सनादन हिंदू वैदिक परमधर्म संसद 1008 शुरू किया है। यह संस्थान सभी क्षेत्र में कार्य करेंगे, इसके 1008 कार्यालय पूरे विश्व में खुलेंगे। उसके माध्यम से यह सब कार्य होंगे। साधु संतों पर मुकदमा दर्ज होने के बारे में उन्होंने कहा कि कालीचरण की टिप्पणी आपत्तिजनक थी, शब्दों की मार्यादा को नहीं लांघ सकते। लांघेंगे तो लांछन लगेगा, हम इसका समर्थन नहीं करते। हमारा यह कहा है कि सबको शब्दों की मार्यादा रखनी चाहिए। साधु संतों को विशेष ध्यान रखना चाहिए क्यों कि उनका आचरण अनुसरण किया जाता है। इसलिए साधु संतों को अमर्यादित भाषा नहीं बोलनी चाहिए, उनकी भाषा हमने मोबाइल में सुनी थी वह आपत्तिजनक थी वह एक तरह से गाली थी, इसलिए हम लोग उनके साथ खड़े नहीं हुए। आलोचना सबकि करिए, भारत में आलोचना करने की छूट है, लेकिन शब्दों की मार्यादा बनाए रखिए, यह टूटेगा तो कार्रवाई होनी ही चाहिए।

घर घर में वैदिक ऋचाएं गुंजे इसके लिए आने वाले समय में जो गुरुकुल होगा वह अपने पहले व दूसरे बैच में ऐसे शिष्यों को तैयार करेगा जो पूरे विश्व में गुरुकुल खोलेंगे और इससे वैदिक ऋचाओं का पाठ कराएंगे।
संस्कृत विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और विद्यालयों में अन्य विषयों की पढ़ाई पर उन्होंने कहा कि विद्या का अर्थ शास्त्रों में लिखा है उसमें 14 चीजें आती हैं। इसमें 4 वेद, 6 वेदांग, पुराण, न्याय व धर्मशास्त्र आते हैं। विद्यालय मतलब जहां यह 14 चीजें पढ़ाई जाती हों, लेकिन उनमें से एक भी चीजें आज नहीं पढ़ाई जा रही हैं और विद्यालय नाम रखे हुए हैं। अभी इस पर हम क्लेम करेंगे, कि अगर विद्यालय नाम रखना है तो शास्त्रों के हिसाब से 14 चीजों को पढ़ाई, अन्यथा नाम बदलकर स्कूल या दूसरा कोई नाम रख लीजिए। शब्द हमारा लेकर अर्थ अपना लगा रहे हैं, परिणाम यह निकल रहा है कि लोग समझते हैं कि बच्चा विद्या अध्ययन कर रहा है। जबकि विद्या पढ़ ही नहीं रहा है। हमारे साथ छल हो रहा है, उसका निराकरण करना होगा।
राजनेता राज मांगने धर्म स्थल जाते हैं: एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का आचरण का लोग अनुसरण करते हैं, प्रेरित होते हैं। मंदिरों में जाकर दर्शन करने से बहुत सारे लोगों को प्रेरित किया जा रहा है जो उत्कृष्ट कार्य है। राजनेता सत्ता मांगने जाते हैं धार्मिक स्थल पर इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भूखा जाएगा तो रोटी मांगेगा, नंगा जाएगा कपड़ा मांगेगा, अंधा जाएगा तो आंख मांगे वैसे ही राजनेता जाएगा तो राज मांगेगा। जो उसकी आवश्यकता है वह वही मांगेगा। वह भगवान के आशीर्वाद से सत्ता पाना चाहता है तो यह अच्छी बात है, दूसरे लोग तो दूसरा कुछ करके सत्ता पाना चाहते हैं। गड़बड़ होगा तो विरोध करेंगे, काशि में मंदिर तोड़ा उसका विरोध किया था आगे भी अगर ऐसा कुछ हुआ तो विरोध करेंगे।
कांग्रेस द्वारा भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी कहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यही कह कहकर तो कांग्रेस की यह स्थिति हो गई है। उन्होंने बताया कि प्रियंका गांधी प्रयाग कुंभ में गुरु जी का दर्शन करने आई थी, आने पर अपने उत्कर्ष के लिए मार्ग बताइए पूछा था। गुरु जी ने कहा था यह देश बहुसंख्यक हिंदुओं का है, हिंदुओं की उपेक्षा करने वाला कोई भी दल राजनीति नहीं कर सकता, इसे कांग्रेस ने कितना माना। बहुसंख्यक हिंदुओं के देश में आप हिंदू हितों की बात नहीं करेंगे तो कैसे आगे आएंगे। कोई हिंदू हित की बात कह तो रहा है, उसे सांप्रदायिक कहेंगे तो कैसे काम चलेगा। इंदिरा गांधी भी दर्शन करती थी, मंदिर और संतों के पास गई, रुद्राक्ष पहनती थी, शंकराचार्य की तस्वीर कार्यालय में लगाती थी वे तब सांप्रदायिक नहीं हुई, कांग्रेस ने देश का बटवारा कर दिया मुसलमान पाकिस्तान जाएंगे और हिंदू हिंदुस्तान हो जाएगा तब सांप्रदायिक नहीं हुए। जवाहर लाल नेहरु व दूसरे जो भी नेता थे हिंदुओं के साथ खड़े रहे वे पाकिस्तान क्यों नहीं गए, क्योंकि वे अपने आप को हिंदू समझते थे, इसलिए वे हिंदूस्तान में रह गए। खुद को हिंदू समझते थे और हिंदूस्तान में रह गए तो अब हिंदू हित की बात करने में क्यों संकोच है। मुसलमानों का समर्थन करना था तो जब देश का बटवारा कर रहे थे उसी समय पाकिस्तान चले जाना था। तब नहीं गए यहां रहे हिंदुओं में रहे, हिंदू हित की बात करें।
सनातन धर्म के झंडा का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है, यह गलत है हिलमिल कर रहना है तब भी नहीं रहना है तब भी, इसलिए हमने उस जमीन को खरीदकर उसी जगह पर ध्वज को फहराया है जो फहर रहा है, हरदिन वहां आरती हो रही है। पूर्णीमा पर विशेष कार्यक्रम हो रही है। कवर्धा को राज्य का धर्म राजधानी बनाएंगे, यह काम अभी अधूरा है। जा रहे हैं वहां चर्चा करेंगे, कवर्धा मंगलम कार्य शुरू किया है, वहां समेटकर आगे बढ़ाएंगे।
हिंदू राष्ट्र पर हम स्पष्ट हैं हिंदू राष्ट्र से काम नहीं चलेगा, क्योंकि अगर यह बनाएंगे तो हिंदू राजा हो जाएगा, हिंदू राजा कंश व रावण भी थे, लेकिन इनसे काम नहीं चला। ये भूमि के भार हुए, भगवान को आना पड़ा। इसलिए हिंदू राष्ट्र से नहीं धर्म राज से काम चलेगा। लोगों के हृदय में धर्म की भावना बैठ जाए, धर्म से जब कोई व्यक्ति शासित होगा वह अपराध नहीं करेगा। जब तक धर्म का राज नहीं होगा तब तक आप नाम कुछ भी दे दें वह नाम बस हो जाएगा। उन्होंने गंगा आंदोलन को राष्ट्र नदी घोषित कराने के परिणाम को कहा कि आज राष्ट्र ध्वज का जैसे अपमान नहीं होता वैसे ही राष्ट्र नदी बनने से उसका अपमान नहीं होगा। आज यहां तिरंगा पर अगर मैं एक जग गटर का पानी डालू और उसका वीडियो आप वायरल करें तो प्रशासन मेरे खिलाफ कार्रवाई कर देंगा, लेकिन गंगा नदी में जो हजारों लीटर गंदा पानी डाला जा रहा है उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। नाम दे देने से कुछ नहीं होगा, उसके लिए प्रोटोकॉल देना होगा। यहां नामकरण से बस लोगों को झुनझुना मिलेगा, उससे कुछ नहीं होगा, प्रोटोकॉल देना पड़ेगा। धर्म की शिक्षा देनी होगी। जब से देश आजाद हुआ धर्म निरपेक्ष घोषित हो गया, सरकारी स्कूलों में धर्म की शिक्षा नहीं दी जा रही है। अंग्रेजों के समय में राम और कृष्ण की तस्वीर स्कूलों में होती थी, आजादी के बाद उसे हटा दिए गए। सरकारी विद्यालयों में रामायण और सुदामा चरित्र हमने पढ़ा है जो अब हटा दिया गया है। ऐसी परिस्थिति हो रही है, हमारा बच्चा धर्म शिक्षा से वंचित हो रहा है। कान्वेंट में ईसाई, मदरसे में मुसलमान इस्लाम की शिक्षा दे सकता है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 30 में यह उल्लेखित कर दिया गया है कि हिंदू अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा नहीं दे सकता। आचमन कैसे करते हैं इसकी शिक्षा नहीं दे सकते हैं, बहुसंख्यक देश यह बड़ी विडंबना है। इसलिए सबसे पहले अनुच्छेद 30 को हटाना होगा, क्योंकि यहां ईसाई, मुसलमान व दूसरे धर्म के लोग तो अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं, लेकिन बहुसंख्यक हिंदू अपने बच्चों को सनातन की शिक्षा नहीं दे सकता। इसलिए धर्मकुलम खोल कर 10 हजार बच्चों को सनातन की शिक्षा देंगे, करें हमारे खिलाफ कार्रवाई। यहां बहुसंख्यक होने के बाद भी हिंदू अपने धर्म की शिक्षा नहीं ले पा रहा है यह विडंबना है।
प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान अश्लिल गानों पर कहा मोहल्ले के जानकारों के नजर में है और वे चुप रहकर चंदा दे रहे हैं तो यह पूण्य नहीं है, इस पाप का भागीदारी उन्हें भी होना होगा। राजनीति कारणों से चंदा दिया जा रहा है, वह अलग बात है वह राजनीति के लिए किया जा रहा है जो चिंता का विषय है।
गाय पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को सांप नाथ और नाग नाथ जैसी स्थिति बताया। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस और बीजेपी में क्या अंतर है। सब अपनी सत्ता की पकड़ बनाए रखना चाहते हैं, सब तुष्टिकरण करना चाहते हैं। सब मनमाना कर रहे हैं, बीजेपी-कांग्रेस की बात नहीं है, आजादी के बाद से गाय संकट में है। अभी सबसे ज्यादा गाय मांस का निर्यात हो रहा है। गाय के लिए किसी ने कुछ नहीं किया, गौचर भूमि खत्म कर दी गई, गायों के खड़े होने की जगह नहीं है। स्मार्ट सिटी में सबसे पहला प्रोजेक्ट ही गायों को शहर से बाहर करना था, इसे पालन भी किया गया। स्मार्ट सिटी बनी नहीं लेकिन लेकिन गायों को शहर से बाहर कर दिया गया। अब तो ऐसा लगने लगा है जैसे गाय को देखकर हमारे देश के नेता स्थिर नहीं रह पा रहे हैं। गाय की रक्षा और काटने के नाम पर काटा जा रहा है। गाय का सिंबल सब लिए हैं लेकिन उसकी रक्षा कौन कर रहा है, सिर्फ पालन करने वाला ही कर रहा है। अब तो लैबरोटरी में ऐसा दूध बना दिया है जो कुछ बूंद से दूध बनाया जा सकता है, इसे स्वास्थ्य संस्थाओं ने मान्यता दे दी है। उसकी खपत बढ़ाने और मार्केट पैदा करने के लिए गायों को खत्म किया जा रहा है, गायों में रोग फैलाया जा रहा है। हाल केे दिनों में गायों में जो रोग फैला है गाय मर रही हैं, यह फैलाया गया रोग है। यह सब दूध का मार्गेट बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। विश्व में 700 करोड़ लोग हैं सबकि जरुरत दूध है, बहुत बड़ा मार्केट है। दूध हर किसी को खरीद कर पीना पड़ता है।
शास्त्रार्थ पर उन्होंने कहा कि हमारे पीठ में हर त्रयोदशी को शास्त्रार्थ होता है। शास्त्रार्थ समाज को बांधने का काम करता है। विजेता और उपविजेता को पुरस्कृत करते हैं। यह परंपरा और बढ़नी चाहिए। किसी भी विषय के प्रचार और प्रसार के लिए शास्त्रार्थ होना बहुत जरुरी है। यह करके भारत पहले विश्वगुरु था। इसको बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
ज्ञानव्यापी सहित पूरे देश के मंदिरों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई बल पूर्वक आकर मूल स्वरूप को बदल देगा तो उसे छोड़ देना चाहिए। जब बल था तब आपने कर लिया, लेकिन बल चलायमान है, तब आपने धक्का मारकर हटा दिया था। जहां जहां ऐसा प्रकरण है उसकी जांच होनी चाहिए। सरकार ने 1991 में जो एक्ट बनाया है उसे खत्म करना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 को जो जैसी स्थिति में थे वह वैसा ही रहेगा।  यह अन्यया है हमारे साथ, इसलिए क्योंकि आप यथा स्थितिवाद कुछ समय के लिए कर सकते हैं, लेकिन इसे सदा सदा के लिए करना सही नहीं होगा। न्याय करना चाहिए। जितने मामले मुकदमें हैं उन्हें खोला जाए और ट्रिब्यूनल बनाकर पूरे मामले की जांच कराई जाए और दूध का दूध पानी का पानी किया जाए। जहां हिंदू किसी मुसलमान का स्थान लिया हो तो उसे लौटाया जाए और जहां मुसलमान ने लिया है उसे हिंदू को लौटाया जाए। यथा स्थिति का कानून बनाकर लोगों के भावना को समाप्त नहीं कर सकते, भावना बनी रहेगी और दो पक्षों में एकता नहीं होगी जब तक न्याय नहीं होगी। न्याय नहीं होने तक पक्ष लड़ते रहेंगे। 1991 में कांग्रेस द्वारा बनाए गए काला कानून को भाजपा को संसद में रखकर रद्द करना चाहिए, अलग ट्रिब्यूनल बनाना चाहिए, जहां जहां का क्लेम है उसे दर्ज करना चाहिए। ज्ञानव्यापी में शिवलिंग दिखाई दे रहा, लेकिन हम पूजा नहीं कर सकते। हमारे मन में पीड़ा नहीं होगी। फुआरा कहा जा रहा है, भगवान शिव एक मात्र ऐसे देवता है जिनके माथे से गंगा निकलती हैं। जो देवता मानता है उन्हें भगवान मानेगा, जो नहीं मानता वह फुआरा मानेगा। मुगलों द्वारा बनाए गए भवनों की चित्र निकलकर देखा गया कही भी शिवलिंग के आकार का फुआरा नहीं है। शिवलिंगाकार फुआरा बनाया नहीं है, लेकिन काशि में यहां चिढ़ाने के लिए ऐसा नहीं है। इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है। सरकार और न्ययाालय यथा स्थिति बनाकर 1 हजार साल में भी अमन-चैन नहीं ला सकता, वह न्याय से ही अमन-चैन होगा।इसलिए जल्द से जल्द न्याय किया जाए। मुकदमा पर तारीख पर तारीख दिया जा रहा है, यह अन्याय है। ऐसे सेंसेटिव मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि वहां जो शिवलिंग मिला है ड्यू प्रोटेक्शन किया जाए। ड्यू प्रोटेक्शन का मतलब है विधि के अनुसार प्रोटेक्शन किया जाए इसमें अगर वहां पौधा है तो सींचा जाए, बच्चा है तो दूध पिलाया जाए उसी तरह से शिवलिंग है तो पूजा से प्रोटेक्शन किया जाता है। अगर किसी देव विग्रह का क्षरण हो रहा है, लेकिन पूजा हो रही है तो उसे क्षरण नहीं माना जाएगा, लेकिन अगर कोई प्रतीमा चिकनी है और पूजा नहीं हो रहा है तो वह नष्ट माना जाएगा। पूजा ही संरक्षण है। लेकिन वाराणसी का प्रशासन इसे नहीं मान रहा है पूजा नहीं करने दे रहा है। वहां प्रशासन मुसलमानों से बात कर उन्हें नमाज का अवसर दिया गया, लेकिन हिंदुओं से बात कर पूजा का अवसर नहीं दिया गया यह भी तुष्टिकरण है। कांग्रेस करती तो यह तुष्टिकरण होती, लेकिन भाजपा कर रही है तो तुष्टिकरण नहीं है। अमरकंटक के पुरातत्व विभाग अधिग्रहित मंदिर में केस जीतने के बाद पूजा शुरू होने की जानकारी दी।

पत्रकार वार्ता हरीश शाह के बिलासपुर चिचिरदा रोड स्थित कुंजकुटिर  फार्म हाउस में आयोजित हुआ जहा आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णनंद जी, ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवनंद, ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्या नन्द जी महाराज, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद जी महाराज, साधु संत, छत्तीसगढ़ प्रमुख चन्द्रप्रकाश उपाध्याय, ज्योतिष्पीठाधीश्वर के मीडिया प्रभारी अशोक साहू , कैमरा मैन सनोज, कृष्णा पराशर ,हरीश शाह पत्नी उषा शाह, सनातन, निहारिका, स्वस्ति, सावित्री देवी, सतीश, अंजना, परम ,पूजा, नलिन, गिरीश मंजुला, प्रभा , यादवेंद्र, व बड़ी संख्या में पत्रकार बन्धु सहित स्थानीय अनुयाइय उपस्थित रहे।

Jitender Khurana

जितेंद्र खुराना HinduManifesto.com के संस्थापक हैं। Disclaimer: The facts and opinions expressed within this article are the personal opinions of the author. www.HinduManifesto.com does not assume any responsibility or liability for the accuracy, completeness, suitability, or validity of any information in this article.

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