Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wpeditor domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home1/hinduabh/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home1/hinduabh/public_html/wp-content/themes/colormag/inc/enqueue-scripts.php on line 170

Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home1/hinduabh/public_html/wp-content/themes/colormag/inc/enqueue-scripts.php on line 170

Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home1/hinduabh/public_html/wp-content/themes/colormag/inc/enqueue-scripts.php on line 170

Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home1/hinduabh/public_html/wp-content/themes/colormag/inc/enqueue-scripts.php on line 170

Deprecated: Invalid characters passed for attempted conversion, these have been ignored in /home1/hinduabh/public_html/wp-content/themes/colormag/inc/enqueue-scripts.php on line 170
शिरडी साईं की प्रतिमा को सनातनी मन्दिरों से हटाना धर्मानुरूप व सराहनीय-शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी - Hindu Manifesto

शिरडी साईं की प्रतिमा को सनातनी मन्दिरों से हटाना धर्मानुरूप व सराहनीय-शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी

प्रेस विज्ञप्ति

सादर प्रकाशनार्थ

शिरडी साईं की प्रतिमा को सनातनी मन्दिरों से हटाना धर्मानुरूप व सराहनीययोद्धा के पक्ष में सनातनियों को आगे आना चाहिए।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य

वाराणसी 4.10.24

परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती 1008 ने काशी के सनातनी मन्दिरों से शिरडी साई की प्रतिमा को हटाने को शास्त्रसम्मत व सराहनीय कार्य बताया है। साथ ही सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा की गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त किया है।

ज्ञातव्य है कि इस समय काशी के परम्परागत सनातनी मन्दिरों से इस समय शिरडी साईं के विग्रह को हटाया जा रहा है। इस सुकृत्य का स्वागत करते हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती जी महाराज ने कहा कि सनातनी मन्दिरों में पुजारियों व प्रबन्धकों की नासमझी, लापरवाही व शिथिलता से लोभ, भय अथवा अन्यान्य कारणों से ऐसी मूर्तियाँ स्थापित कर दी गईं जिनका सनातन धर्मशास्त्रों में न तो उल्लेख है, न तो कोई उनकी पूजा की विधि है और न ही सनातनधर्मियों को उनसे किसी भी प्रकार की प्रेरणा मिलती है।

कहा कि इस तरह के सनातन धर्म विरोधी कार्य से अपने सनातन धर्म के मन्दिरों को मुक्त कराने के लिए, परिसर में पुनः पवित्र वातावरण बनाने के लिए जागरुकता कुछ लोगों में आई। विशेष करके तब जब ये पता चला कि तिरुपति बालाजी जी मन्दिर से जो प्रसाद बांटा जा रहा था व लोगों को खरीदने पर मिल रहा था उसमें बहुत बड़ी मात्रा में बहुत लम्बे समय तक अखाद्य पदार्थ मिलाए जा रहे थे। ऐसे में शुद्धि के प्रति लोगों में मन मे भावना जागृत हुई। तब उन्होंने सोचा कि हमारे सनातनी मन्दिरों के परिसर में ये जो अशुद्धियों आ गई हैं इनको भी दूर किया जाना चाहिए और इसके लिए कुछ लोग खड़े हुए। ब्राह्मण सभा, सनातन धर्म रक्षक दल व अन्य ऐसी ही कई संस्थाओं के नाम हमको बताये गये और उन लोगों ने साईं की प्रतिमा सनातनी मन्दिरों से हटाने का सराहनीय कार्य किया।

उन लोगों ने कुछ मन्दिरों के लोगों से बात की और वहाँ के लोग भी तैयार हुए। तब बनी सहमति के आधार पर ऐसे जो प्रदूषक तत्व थे, मूर्ति थी उनको हटा दिया गया। ये काशी में एक अच्छा कार्य हो रहा था। हमको भी लोगों ने बताया था तो हमने कहा कि ये अच्छा कार्य है, अभिनन्दनीय है। ऐसे में अब पता चला है कि ऐसा उत्तम सनातनधर्मानुरूप जो कार्य था, मन्दिरों के परिष्कार का कार्य था, अशुद्धि को दूर करने का कार्य था उस कार्य में लगे लोगों में से एक पं अजय शर्मा जी को पुलिस ने किन्ही लोगों की शिकायत पर शान्ति भङ्ग की आशङ्का में गिरफ्तार कर लिया है और दूसरी अनेक धाराएं भी लगाई हैं।

वाराणसी प्रशासन के द्वारा ऐसा कार्य किया गया है। हम यही नही समझ पाते हैं कि अगर हम अपने मन्दिरों में कोई शुद्धि कर रहे हैं, परिष्कार कर रहे हैं तो उसमें लोगों को क्या आपत्ति हो सकती है? जो लोग ये कार्य कर रहे थे उन्होंने स्पष्टता के साथ कहा है कि अगर कोई किसी का भक्त है तो वो उनका अलग मन्दिर बनाए उसमें उसकी पूजा करे। हालांकि मन्दिर तो सनातनी देवताओं का होता है। लेकिन फिर भी इतने तक तैयार हैं कह रहे हैं अलग मन्दिर बना लें और अपने स्वयं पूजा करें तो जब इतनी बात कही जा रही है अपमान किसी का किया नही जा रहा है। कोई मूर्ति तोड़कर फेंकी नही जा रहा है।जब वहाँ से हटाया जा रहा तब उसे ढंक कर आदरपूर्वक हटाया जा रहा है ताकि किसी की भावना को ठेस न लगे। ये भी मीडिया में बात आई है कि उनको गङ्गा में प्रवाहित किया गया। गङ्गा में प्रवाहित करने का मतलब यह ही कि इस बात का ध्यान रखा गया कि कहीं कूड़े-कचरे में न फेंका जाए ताकि लोगों की भावना आहत न हो।

जब हम अपने सनातनधर्म का मन्दिर परिष्कृत कर रहे हैं और उसमें आए हुए अपशिष्ट को (हम तो यही कहेंगे) सम्मान के साथ विदा कर रहे हैं। उसके बाद भी कोई कह रहा है कि अशान्ति हो रही है तो यह बड़ा आश्चर्य है। जिस काशी में जाने कितने मन्दिरों को तोड़ करके वहाॅ पर लोग चढ़े बैठे हुए हैं उससे अशान्ति नहीं हो रही है और जब हम अपने मन्दिर का परिष्कार कर रहे हैं तो उससे अशान्ति हो जाएगी।

आगे कहा कि जब हम अपने पूज्यपाद गुरुदेव की आज्ञा से जो काशी में शिवलिंग प्रकट होने पर उसकी पूजा करने जा रहे थे तो हमको वहाँ के प्रशासन ने रोक दिया कि अशान्ति होगी। दुबारा हम परम्परा के अनुसार जब उस परिसर की परिक्रमा करने जा रहे थे तब भी हमें रोक दिया गया क्योंकि अशान्ति हो रही थी तो हम पूछना चाहते हैं कि क्या हिन्दू कुछ भी अपने धर्म के लिए करे उसमें अशान्ति हो जाती है और बाकी लोग जो चाहे करें उसमे कोई अशान्ति समाज में नहीं होती है? ये जो परिभाषा निकलकर धीरे-धीरे सामने आ रही है ये समझ से बाहर है। इसमें अपने को विचार करना पड़ेगा और हिन्दुओं को भी तत्पर होना पड़ेगा। आखिर ये क्या है और प्रशासन को केवल अशान्ति हिन्दुओं से है?

अभी सबसे पहले तो आवश्यक है कि एक व्यक्ति जो सनातन धर्म का ही अंग है, एक संस्था जो हमारे सनातन धर्म का ही अंग है और उस व्यक्ति संस्था द्वारा वो कार्य किया जा रहा था जो सचमुच सनातनधर्मियों द्वारा कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन उसको करने वाले को धारा लगाकर पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है तो हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि हम उस व्यक्ति उस संस्था के साथ खड़े हों एक सनातनधर्मी होने के नाते और इसीलिए हम उस संस्था व व्यक्ति के साथ खड़े हैं। हम ये नही कह रहे हैं कि अशान्ति मचाई जाए हम ये भी नहीं कह रहे हैं कि कोई उपद्रव किया जाए।लेकिन ये जरूर कह रहे हैं कि इस समय हम सनातनधर्मियों को खड़े होकर अजय शर्मा जी के लिए जो कानूनी मदद हो वो करनी चाहिए। अच्छे से अच्छे वकील खड़ा करना चाहिए ताकि अजय शर्मा जी पुलिस के बन्धन से मुक्त हो सकें। बिना कारण उनको जेल न भेजा जाए, उनका जमानत करा किया जाए और उनका मुकदमा हम लोग कानून की परिधि में रहकर दृढ़ता से लड़ेंगे।

उक्त जानकारी देते हुए परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि इस समय पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने व गोकशी बन्द कराने हेतु 36 राज्यों के राजधानी में गौध्वज स्थापित करने हेतु सम्पूर्ण राष्ट्र में भ्रमण कर रहे हैं।पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज के कठिन तप व अथक प्रयास के परिणामस्वरूप गौमाता महाराष्ट्र में राज्य माता घोषित हो चुकी हैं।

महाराजश्री को भारत भ्रमण के दौरान जब ज्ञात हुआ कि काशी में साई की प्रतिमा हटाई जा रही है और उस सुकृत्य को सम्पादित करने वाले पं अजय शर्मा को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है तो उन्होंने ऑडियो रिकार्डिंग के माध्यम से अपना सन्देश सम्प्रेषित किया हैं।

परमधर्माधीश शङ्कराचार्य जी महाराज ने अनेकों बार दृढ़ता से कहा है कि सनातनधर्म शास्त्रानुसार चलता है।शास्त्र में जिसका उल्लेख नहीं वो अपूज्य है और हम सनातनधर्मियों के मन्दिरों में अपूज्य की पूजा कदापि नहीं हो सकती है। साईं बाबा एक मुस्लिम फकीर थे उनको हमारे मन्दिरों में प्रतिष्ठित करना अपराध है। फिर भी अगर किसी को साईं बाबा की पूजा करनी है तो उनका अलग मन्दिर बना लें हमें कोई आपत्ति नही है।लेकिन चांद मियां साईं को हमारे शिवलिंग पर बैठा दिखाना, साईं के हाथ मे सुदर्शन चक्र थमाना,भगवान के विराट स्वरूप के मध्य साईं का चित्र बनाना, ॐ नमः शिवाय की जगह ॐ साईं नमः कहना, सीताराम की जगह साईं राम कहना, साईं चालीसा और साईं गायत्री बनाना कत्तई स्वीकार नही है।हमारे ब्रह्मलीन गुरुदेव ने पहले ही न्यायालय और हर जगह प्रमाण प्रस्तुत करवा दिया है और धर्मनिर्णय भी दिया है। अब बस क्रियान्वयन बाकी है।

प्रेषक
संजय पाण्डेय-मीडिया प्रभारी।
परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी महाराज

Leave a Reply

Share