पाकिस्तानी न्यायालय ने दो चर्चों में तोड़फोड़, 125 ईसाईयों के घर जलाने और दर्जनो बाइबल नष्ट करने के मामले में 112 मुसलमानों को रिहा किया
मसीह को तो 2014 में ही मृत्युदंड सुना दिया गया था जिसके विरुद्ध उसने अपील कर रखी है।
पाकिस्तान में कुछ लोग इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि ईशनिंदा के कानून का दुरुपयोग होता रहा है इसलिए इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। कुछ कट्टरपंथियों का मानना है कि शरीयत के क़ानूनों की निंदा भी ईशनिंदा के अंतर्गत आती है।
2011 में पाकिस्तानी गवर्नर सलमान तसीर ने शरीयत के क़ानूनों में बदलाव की बात कही थी और उनके अंगरक्षक कादरी ने ही उनकी हत्या कर दी थी। कादरी को मृत्युदंड दिया गया था किन्तु किन्तु कट्टरपंथियों ने उसे नायक बताया था और हजारों मुसलमान उसके जनाज़े में शामिल हुए थे। उसको दफनाने के बाद उसकी कब्र पर पवित्र स्थान बनाया गया था।
स्त्रोत- http://mobile.reuters.com/article/amp/idUSKBN15D0Q2
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