उत्तरप्रदेश के उन मूर्ख हिंदुओं के नाम खुला पत्र जो वोट नहीं डालते
उत्तरप्रदेश में विधानसभा के चुनाव शीघ ही होने वाले हैं और गली गली में चर्चा है कि किसकी सरकार बनेगी। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जो उत्तरप्रदेश में इन चुनावों से अछूता रहेगा। इन चुनावों का प्रभाव भी प्रत्येक उत्तरप्रदेश वासी पर पड़ेगा। साथ ही इसका प्रभाव पूरे भारत पर भी पड़ेगा क्योंकि उत्तरप्रदेश अधिकतर भारत की लोकसभा का भी निर्णय दे देता है।
ये वोट देने का गौरव और अधिकार हमे लोकतन्त्र के कारण प्राप्त हुआ है और ये लोकतन्त्र हमें अंग्रेज़ ईसाईयों की 200 वर्षों की परतंत्रता को उखाड़ फेंकने के कारण प्राप्त हुआ है। हमारे पूर्वजों ने अपने तन मन धन से इन अंग्रेज़ ईसाईयों से स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी, लाखों लोगों ने जीवन बलिदान दिया। हजारों लोग इन स्वार्थी अंग्रेज़ ईसाईयों की गोली से मारे गए, कितनों को तोपों के साथ बांध कर उड़ा दिया गया किन्तु हमारे पूर्वजों ने हार नहीं मानी। चाहे जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग में गोलियां चलवाई अथवा चाहे नेताओं को जेल में ठूस दिया गया हो, चाहे लाठीचार्ज हुआ हो अथवा भूख हड़ताल, हमारे पूर्वज ना झुके, न रुके और ये संघर्ष स्वतन्त्रता के स्वाभिमान को प्राप्त करके ही रुका। स्वतंत्रता के लिए हिंसा का मार्ग लेकर चलने वाले खुदीराम बॉस और भगत सिंह हों अथवा अहिंसा के मार्ग पर पंडित मदन मोहन मालवीय और श्री मोहन दास गांधी जी हों, क्रांतिकारी स्वामी श्रद्धानंद हों अथवा वीर सावरकर हों, स्वतंत्रता का संग्राम बलिदानों से भरा है। और ये बलिदान सहर्ष स्वाभिमान के साथ गौरवशाली स्वतंत्र भारत वर्ष के लिए दिये गए थे।
इन बलिदानों के कारण आज हम स्वतंत्र भारत में स्वाभिमान से जी रहे हैं और लोकतन्त्र भारत का निर्माण कर रहे हैं। किन्तु ये स्वाभिमान तब चूर चूर हो जाता है जब कई हिन्दू लोकतन्त्र के महोत्सव अर्थात “चुनाव” में भाग ही नहीं लेते और वोट देने तक नहीं जाते। इससे अधिक शर्म की बात क्या हो सकती है कि कोई हिन्दू वोट ही देने नहीं जाए। हमारे पूर्वजों ने स्वतन्त्रता की लड़ाई इसी लिए लड़ी थी कि हम आज स्वाभिमान से जियेँ किन्तु कईं मूर्ख अज्ञानी और शिथिल हिन्दू वोट देने तक नहीं जाते। आज उन हिंदुओं के पूर्वजों की आत्मा ये देख कर दुखी होती होगी जिनकी हिन्दू संतान वोट ही देने नहीं जाती। पितृ को दिया गया दुख परिवारों में कष्ट ही लाता है। वोट न देकर लोग अपने पूर्वजों का घोर अपमान करते हैं, देश का अपमान करते हैं और लोकतन्त्र को सशक्त नहीं करते हैं। वोट न देना एक प्रकार की परतंत्रता की ही भावना है। ऐसा व्यक्ति अपने को स्वतंत्र और स्वाभिमानी अनुभव नहीं कर सकता जो वोट देने नहीं जाता। ऐसा व्यक्ति देश और धर्म तो क्या, अपने परिवार की ओर भी अपना दायित्व ठीक से नहीं निभा सकता क्योंकि लोकतन्त्र से ही परिवार का भला होता है। लोकतन्त्र में वोट देने वाले अन्य सक्रिय हिंदुओं को ऐसे शिथिल हिंदुओं का बोझ उठाना पड़ता है। ईश्वरीय वाणी वेदों में स्पष्ट लिखा है कि मातृभूमि की रक्षा और सेवा करना, और सदा स्वराज में रहना प्रत्येक हिन्दू का धार्मिक दायित्व है।
Continued…