कोलकता के जादवपुर युनिवेर्सिटी में बंगलादेशी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में वामपंथी विद्यार्थियों का आक्रमण
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कोलकाता के जादवपुर युनिवेर्सिटी में कांब द्वारा बांग्लादेशी अल्पसंख्यक हिन्दू, बौद्ध और ईसाईयों पर हो रहे अत्याचारों पर अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में वामपंथी विद्यार्थियों ने आक्रमण कर दिया। ये कॉन्फ्रेंस 1-2 अप्रैल 2017 को रखी गई है जिसमे अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, कनाडा और यजमान भारत से कई संगठनों के बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। इस कॉन्फ्रेंस को सेंटर फॉर रिसर्च ऑन इंडो-बांग्ला रिलेशन्स, कोलकाता का समर्थन प्राप्त है।
कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश के सांसद श्री उषातन तालुकदार, त्रिपुरा के गवर्नर श्री तथागत रॉय, टोरंटो से श्री अरुण कुमार दत्ता, अमरीका से श्री सितांगशु गुहा, यूके से डॉ श्री चित्तादास, अमरीका से ही सुश्री गर्ग मैती, बांग्लादेश से श्री गोबीन्द्र चन्द्र प्रमाणिक, श्री रबीन्द्र घोष, सुश्री पिनाकी दास और श्री रिपोन देय आदि भाग लेने वालों में मुख्य थे।
वामपंथी विद्यार्थियों ने कॉन्फ्रेंस के पहले भाग में कोई उपद्रव नहीं किया क्योंकि तब त्रिपुरा के गवर्नर श्री तथागत रॉय उपस्थित थे और उनके सुरक्षाकर्मी कॉन्फ्रेंस औडिटोरियम में थे। किन्तु उनके जाने के बाद कॉन्फ्रेंस के दूसरे भाग में वामपंथियों ने आक्रमण कर दिया। आयोजनकर्ताओं ने विदेशी भागियों को बचाने के लिए उन्हे गाड़ी द्वारा कहीं और भेज दिया किन्तु कोलकाता के स्थानीय भागियों के साथ वामपंथियों ने मार पिटाई करी और धमकी दी कि भविष्य में ऐसे “फासीवादी हिन्दू संगठनो के कार्यक्रम” नहीं होने दिये जाएँगे।
आयोजकों के पास कॉन्फ्रेंस करने के पहले से ही अनुमति थी और इस आक्रमण के बाद भी लेख लिखे जाने तक प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं करी है।
आज बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं और भारत में जहां हिन्दू बहुसंख्यक हैं वहाँ बंगलादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध कॉन्फ्रेंस भी नहीं किया जा सकता है। ये एक संघर्षपूर्ण स्थिति है और इससे लड़ना ही होगा।
हम हिन्दू ईश्वरीय वाणी वेदों के मंत्र भूल गए हैं
ऋग्वेद 10.152.4
हे तेजस्वी पुरुष, तू हमारे शत्रुओं को नष्ट कर दे। जो हमें पराधीन बनाना चाहता हो उन सब आक्रमणकारियों को तू नीचा दिखा दे। उसे घोर घने अंधकार में ले जाओ अर्थात उसे नष्ट कर दे। अर्थात प्रत्येक मनुष्य को अपनी व्यक्तिगत और राष्ट्रिय स्वाधीनता की मिलकर रक्षा का पूरा प्रयास करना चाहिए।
अप त्यं परि पंथिनं मुषीवाणं हुरश्चितम्।
दूरमधि सुतेरज॥
ऋगवेद 1.42.3
जो कोई चोर, कुटिल, पापी, दुष्ट तेरे मार्ग में रास्ता रोक कर खड़ा हो, उसे तू पकड़ कर रास्ते से दूर फेंक दे। अर्थात पराक्रमी पुरुष विघ्न-बाधाओं को दूर कर निर्दिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करें।
अपघ्ननतो अराव्णः पवमाना स्वर्दृशः।
योनावृतस्य सीदत॥
ऋगवेद 9.13.9
आततायीयों को नष्ट करते हुए, पवित्रता का प्रचार करते हुए, ज्योति का दर्शन करते हुए तुम सत्य के मंदिर में आसीन होओ।
मरुतो यद्व वो बलं जनां अचुच्यवीतन।
गिरीं रचुच्यवीतन॥
ऋगवेद 1.37.12
हे वीरों तुम्हारे अंदर जो बल है, उससे तुम राक्षस जनों को डिगा दो, पहाड़ों तक को हिला दो अर्थात अपने पुरुषार्थ से विरोधियों को नष्ट भ्रष्ट कर दो।
इन वेद मंत्रों से अभीभूत हो कर ही शत्रुओं से लड़ा जा सकता है। इन वेद मंत्रों को ध्यान में रख कर कार्य करने से ईश्वर भी हमें आशीष और सफलता प्रदान करते हैं।
Source-https://hinduexistence.org/2017/04/01/naxalites-attack-on-caamb-international-seminar-on-bangladesh-minorities-in-jadavpur-university/
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