भारत की पुरातन युद्ध कला “कलारीपयट्टू” को देख विदेशियों की आँखें चमक उठी
छड़ी-5 फीट लंबी लकड़ी की छड़ी
तलवार और ढाल-32 इंच लंबी तलवार 16 इंच गोलाई की ढाल के साथ
दो धारी नुकीला छुरा -12 इंच लंबाई
कुंथम भाला-एक कोने पर पत्ती के आकार वाले तेज कटार सहित भाला
उड़ावाल-32 इंच लंबी लोहे की तलवार
कलारीपयाट्टू के योद्धाओं की कला से प्रभावित होकर आसवान के गवर्नर लेफ्टिनेंट मेगदी हगाजे ने मैत्थ्यु को आसवान का चिन्ह भी भेंट किया। इसके प्रत्तिउत्तर में सांस्कृतिक आदान प्रदान के सम्मान में मैत्थ्यु ने भी उन्हे केरल का सांस्कृतिक चिन्ह “पोन्नाडा” भेंट किया।
कलारीपयाट्टू की युद्ध काला सहसत्रों वर्ष पुरानी है और इसका काल भगवान परशुराम के समय का है।
युवाओं को आज भी इस युद्ध कला को सीखना चाहिए और हमारे पुरातन गौरान्वित इतिहास को जीवित रखना चाहिए। ऐसी युद्ध कलाओं से भारत सदा अपने हिन्दू इतिहास को जीवित रखने में सफल हो सका है और शत्रुओं के दिल में दर बना सका है।