“कितने मच्छर मारोगे हर घर से मच्छर निकलेगा”!!!
मैंने कहा मैं अपना खून नहीं चूसने दूंगा बस.!!! तो कहने लगे ये “एक्सट्रीम देहप्रेम” है.! तुम कट्टरपंथी हो, डिबेट से भाग रहे हो.!!! मैंने कहा तुम्हारा “उदारवाद” तुम्हें मेरा खून चूसने की इज़ाज़त नहीं दे सकता.!!! इस पर उनका तर्क़ था कि भले ही यह गलत हो लेकिन फिर भी थोड़ा खून चूसने से तुम्हारी मौत तो नहीं हो जाती, लेकिन तुमने मासूम मच्छरों की ज़िन्दगी छीन ली.!! “फेयर ट्रायल” का मौका भी नहीं दिया.!! इतने में ही कुछ राजनेता भी आ गए और वो उन मच्छरों को अपने बगीचे की ‘बहार’ का बेटा बताने लगे.!!
हालात से हैरान और परेशान होकर मैंने कहा कि लेकिन ऐसे ही मच्छरों को खून चूसने देने से मलेरिया/चिकेनगुनिया/डेंगू हो जाता है, तुरंत न सही बाद में बीमार और कमज़ोर होकर मौत हो जाती है.!! इस पर वो कहने लगे कि तुम्हारे पास तर्क़ नहीं हैं इसलिए तुम भविष्य की कल्पनाओं के आधार पर अपने ‘फासीवादी’ फैसले को ठीक ठहरा रहे हो..!!! मैंने कहा ये साइंटिफिक तथ्य है कि मच्छरों के काटने से मलेरिया/चिकेनगुनिया/डेंगू इत्यादि होता है, अभी कुछ दिन पहले ही मैंने इसे झेला है, पर साइंटिफिक शब्द उन्हें समझ में नहीं आया !!
लेखक-अज्ञात। लेखक को हार्दिक धन्यवाद
व्हात्सप्प से प्राप्त