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भोजपुरी भाषा को संवैधानिक स्तर पर लाने के लिए हुआ भोजपुरी जन जागरण अभियान का धरना - Hindu Manifesto

भोजपुरी भाषा को संवैधानिक स्तर पर लाने के लिए हुआ भोजपुरी जन जागरण अभियान का धरना

दिनांक 21 फरवरी 2017

भोजपुरी भाषा को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची मे शामिल करने की मांग को ले कर दिल्ली के जंतर मंतर पर भोजपुरी जन जागरण अभियान के तत्वावधान मे एक दिवासीय धरना का अयोजन अन्तर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस दिनांक 21 फरवरी 2017 को हुआ।

इस धरना मे देश भर से भोजपुरी भाषी शामिल हुए थे। धरना का नेतृत्व भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष पटेल ने किया। विदित हो कि भोजपुरी भाषा को बोलने वालों की संख्या पुरे विश्व में 25 करोड़ से उपर है। यह भाषा सिर्फ भारत के बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड, छतिसगढ़ ,मध्यप्रदेश आदि राज्यों में ही नही बल्कि भारत के बाहर करीब चौदह देशों में बोली जाती है। इतनी समृद्धिशाली भाषा को देश के बाहर कई देशों में संवैधानिक मान्यता प्राप्त है।

परन्तु यह दुख की बात है कि भोजपुरी अपने ही देश में अपने ही लोगों के बीच अपना हक नही ले पा रही है। विगत लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के साथ साथ बिहार के कई सांसद और केन्द्र में मंत्री रविशंकर प्रसाद, सुशील कुमार मोदी समेत कई नेताओं ने यह वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनी तो भोजपुरी संविधान में शामिल होगी। पर सरकार बने अब दो साल हो गये है फिर भी यह सरकार भोजपुरी के प्रति अपनी मनसा स्पष्ट नही कर पा रही है। चुनाव पूर्व किया वादा जुमला बनते जा रहा है।

बताते चलें कि भोजपुरी भाषा मान्यता आंदोलन “भोजपुरी जन जागरण अभियान” देश भर मे भोजपुरी को संविधान में शामिल कराने हेतु संघर्ष कर रहा है तथा साहित्य एवं संस्कृति को सहेजने का काम कर रहा है। इससे पहले “भोजपुरी जन जागरण अभियान” के बैनर तले इससे पहले पाँच बार धरना प्रदर्शन हो चुका है तथा आज छठा धरना का आयोजन किया गया।

आज के इस धरना का अध्यक्षता डा० गोरख प्रसाद मस्ताना ने किया। उन्होनें अपनी बात रखते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा को भारतीय संविधान में शामिल कर पच्चीस करोड़ लोगों के भावना का सम्मान करे। भोजपुरी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के संयोजक एवं सूत्रधार प्रो० शत्रुघ्न कुमार ने भी कहा कि भोजपुरी को दर्जा सरकार जल्द दे और भोजुरियों का सम्मान करे। अपनी बात रखने अशोक द्विवेदी के अलावे भोजपुरी सामाज के अध्यक्ष अजीत दुबे भी पहुँचे।

अपनी बात रखने वालों मे बिहार छपरा से आए कवि मुंगालाल शास्त्री ने भी सरकार से दर्जा देने की मांग की। भोजपुरी जन जगरण अभियान के महामंत्री अभिषेक भोजपुरिया ने कहा कि सरकार हर बार सत्र से पहले और चुनाव से पहले भोजपुरी को दर्जा देने के प्रति अपनी बात रखती है परन्तु विधेयक नही लाती जो भोजपुरिया लोगों के भावना के साथ खेलवाड़ है।

झारखंड से संयोजक राजेश भोजपुरिया, यूपी से आए बी एच यू के प्रो० प्रकाश चन्द्र पटेल ने भी अपनी बात रखी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के बौद्ध अध्ययन विभाग के डा० धर्मेन्द्र कुमार ने भोजपुरी आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाया। आनन्द कुमार मिश्रा, गाजियाबाद से जे पी द्विवेदी, डा० मनोज कुमार, बक्सर से अजय कुमार ओझा, अभय कुमार सिन्हा, शशिकन्त उर्फ तुफानी चम्पारण से साहिल चम्पारनी, जे एन यू सी रंगकर्मी सरिता साज, जयनेन्द्र दोस्त एवं टीम, मनोज कुमार सिंह, देवेन्द्र कुमार, कलकत्ता से प्रकाश कुमार, कुन्दन सिंह, बी एन पाण्डेय, उमेश प्रजापति, प्रमेन्द्र सिंह, राजेश कुमार, मो० नाजीर (अमन समाज पार्टी), लाल बिहारी लाल, प्रमोद पुरी, रामशरण यादव, भाई बी के सिंह, विनोद कुमार गिरी, अंजली गहलौत, धनंजय कुमार सिंह, अनुज कुमार तिवारी, गणेश कुमार सिंह के अलावे करीब सैकड़ों भोजपुरी प्रेमी शामिल हुए।

 

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