नकली शंकराचार्य हैं सनातन धर्म के सबसे बड़े शत्रु!
2500 वर्ष पूर्व सनातन वैदिक धर्म लगभग पूर्णतया लुप्त हो गया था, सनातनियों में वैदिक व्यवस्थायेँ और व्यवहार लुप्त हो गया था। ऐसी विकट स्थिति में भगवान शिव ने भगवान आदि शंकराचार्य के रूप में कलाड़ी, केरल में अवतरण लिया।
पूर्णतया वेद शास्त्र में पारंगत हो कर भगवान आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर बौद्धों आदि को शास्त्रार्थ में हराया और भारत में पुनः सनातन धर्म की स्थापना करी। सनातन वैदिक धर्म पर 4 दिशाओं से होने वाले आक्रमणों से रक्षा करने के लिए उन्होने चारों दिशाओं में 4 शंकराचार्य पीठों की भी स्थापना करी। साथ ही उन्होने विभिन्न साधू अखाड़े भी बनाए जो पू शंकराचार्यों के नेतृत्व में हिंदुओं को धर्म की शिक्षा देते रहे हैं। पू शंकराचार्य सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु हैं और उनहीके नेतृत्व में 2500 वर्षों से अनेकों आक्रमणों के बाद भी सनातन धर्म आज खड़ा है।
द्वारका शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ शंकराचार्य पू स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज
भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित ये 4 पीठे हैं।
ज्योतिर्मठ पीठ, चमोली जिला, उत्तराखंड…अथर्ववेद के साथ।
गोवर्धन मठ पीठ, पुरी, ओड़ीशा…ऋग्वेद के साथ।
शृंगेरी मठ पीठ, कर्नाटक…यजुर्वेद के साथ।
द्वारका शारदा पीठ, गुजरात…सामवेद।
जैसा कि पड़ सकते हैं कि चारों पू शंकराचार्य पीठें 1-१ वेद की रक्षा और शिक्षा के साथ कार्य करते हैं।
गोवर्धन पीठ शंकरचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज
भगवान आदि शंकराचार्य ने इन चारों पीठों पर पू शंकराचार्यों की नियुक्ति के नियम भी १ ग्रंथ में लिखे जिसे “मठामनाय महानुशासनम” ग्रंथ कहते हैं। २४90 वर्षों से आजतक इसी ग्रंथ के नियमों के अनुसार विराजमान पू शंकराचार्य अगले पू शंकराचार्यों का चयन करते रहे हैं। २४90 वर्षों से आजतक इन चार पीठों पर विराजमान पू शंकराचार्य ही और उनके नेतृत्व में अखाड़ों के साधू धर्म की शिक्षा और रक्षा करते रहे हैं। पू शंकराचार्यों द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं के कारण ही शिवाजी, महाराणा प्रताप और गोस्वामी तुलसीदास जी जैसे हजारों युगपुरुष भारत में जन्मे हैं।
श्रेंगेरी पीठ शंकराचार्य स्वामी भारतीतीर्थ जी महाराज
इन ४ पीठों के अतिरिक्त कोई भी तथाकथित संत अथवा संगठन कोई स्थान को पीठ घोषित कर नकली शंकराचार्य घोषित कर दे तो ये पूर्णतया झूठ, धर्मद्रोही, कानून विरुद्ध और हिंदुओं के साथ छल है।
पिछले ३० वर्षों में १०० से अधिक नकली शंकराचार्य बन गए हैं जो अपनी नकली पीठें बनाकर हिंदुओं को छल रहे हैं। सत्यता तो ये हैं कि ये नकली शंकराचार्य राजनैतिक दलों द्वारा अपने राजनैतिक लाभ के लिए खड़े किए गए हैं जो इन दलों के पिट्ठूओं के रूप में कार्य करते हैं। कोई बड़ी बात नहीं है कि इन नकली शंकराचार्यों के पीछे विदेशी ईसाई मिशनरियाँ भी काम कर रही हों।
पू शंकराचार्य अपने सभी विचार सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार देते हैं, पर कई राजनैतिक दल अपने राजनैतिक लाभ के लिए और तथाकथित हिन्दू संगठन अपने अधर्मी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंदुओं को अपनी ओर आकर्षित करने की अधर्मी इच्छा से नकली शंकराचार्यों को खड़ा कर देते हैं। ये व्यवहार ठीक उस छलिए मारीच हिरण के जैसे है जिसने माता सीता के हरण के लिए छल से भगवान राम को माता सीता से दूर कर राक्षस रावण की सहायता करी थी। ये नकली शंकराचार्य ही हिंदुओं को छल से धर्म से दूर कर रहे हैं। किन्तु ये नकली स्मरण रखें कि मारीच का अंत श्रीराम के बाण से हो ही गया है। इसलिए इन नकली शंकराचार्यों का अंत भी कानून के माध्यम से जल्दी होगा।
ये नकली शंकराचार्य ही सभी कुकर्म कर संतों को अपमानित करवाते हैं। ये धन के लालची नकली साधू बने हिंदुओं को लूट भी रहे हैं और धर्मविमुख भी कर रहे हैं। इनके कुकर्मों के कारण हिंदुओं के पू शंकराचार्यों का अपमान हो रहा है क्यूंकी इन धर्मद्रोहियों ने पू शंकराचार्य का नाम अपने साथ लगा रखा है।
इसलिए मेरी मांग है कि भारत की संसद में ये प्रस्ताव पारित किया जाए कि भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित ४ पीठों पर विराजमान पू शंकराचार्य ही मान्य शंकराचार्य हैं, इनके अतिरिक्त सभी अमान्य हैं और सभी अमान्य नकली शंकराचार्यों को कानूनी कार्यवाही कर जल्दी जेल भेज कर कठोर दंड दिया जाए।
हम १०० करोड़ हिंदुओं को इस पावन कार्य के लिए खड़ा होंगा क्यूंकी यही १ मात्र पथ है जिससे हम सनातन धर्म को दूषित होने से बचा सकते हैं। नहीं तो इस कलयुग में हम अधर्म को ही धर्म मानने लग जाएंगे।