क्या केजरीवाल सरकार खड़ा करेंगी डेंगू मच्छर को न्यायालय के कठघरे में? क्या भाजपा नियंत्रित एमसीडी गिराएगी मच्छरों के अवैध बहुमंज़िला निर्माण?

व्यंग-कुछ हवाई कल्पनाओं के साथ आप भी दिल्ली की सैर करें

आज चिकनगुनिया और डेंगू मच्छर ने दिल्ली वालों पर आक्रमण कर दिया है और मुझे ध्यान आ रहा है कि श्रीमान अरविंद केजरीवाल जी ने पिछले वर्ष वक्तव्य दिया था कि “केजरीवाल सरकार डेंगू से निपटने के लिए कानून बनाने की सोच रही है”। आज मैं सोचता हूँ कि कदाचित ये कानून बन गया होता तो आज मच्छर यूनियन अच्छी ख़ासी रुष्ट होती। कदाचित ये कानून आज भी बन जाए तो क्या होगा? तब तो ये कानून तारणहार बन जाएगा। वैसे तो श्री केजरीवाल जी शुभ स्वास्थ्य के साथ शीघ्र ही दिल्ली पधारने वाले हैं। क्या पता श्री केजरीवाल जी अब फिर कानून बनाने का विचार करें? पिछले वर्ष कानून बनाने के वक्तव्य की याद आज भी मच्छरों और विशेषज्ञों के मस्तिष्कों में भी छपी हुई है। इसी कारण विभिन्न अटकलों के साथ ही सारे मच्छर समाज में भी हड़कंप है और विभिन्न क्षेत्रों के डरे हुए मच्छरों में सभाओं का मेला लगा हुआ है। मच्छरों में हड़कंप के साथ साथ विशेषज्ञों के मस्तिष्कों में भी अटकलें बुलबुलें उठा रही हैं कि ये कानून कैसा हो सकता है। चूंकि 526 करोड़ के विज्ञापन दिखा दिखा कर आम आदमी को सशक्त करती केजरीवाल सरकार ही इस पर निर्णय लेगी किन्तु मेरे विचारों की कल्पनाएं हवाई उड़ाने भर रही हैं। इन्ही हवाई उड़ानों से आपका मिलन करा रहा हूँ।

कैसा हो सकता है कानून?

कानून जैसा भी हो किन्तु ये पक्का है कि अब मच्छर की खैर नहीं। कानून में डेंगू मच्छर को चारों ओर से घेरने के लिए सख्त धाराएँ तो अवश्य हो सकती हैं। अगर किसी डेंगू मच्छर ने किसी व्यक्ति को काट लिया तो उस व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस को उस मच्छर को ढूंढ कर गिरफ्तार करना ही होगा। हो सकता है कि वो व्यक्ति मच्छर पर झूठा आरोप लगा रहा हो किन्तु सशक्त होते आम आदमी की शिकायत पर उस मच्छर को गिरफ्तार करना ही होगा और मच्छर को खुद ही ये प्रमाणित करना पड़ेगा कि उसने उस व्यक्ति को नहीं काटा है। हो सकता है कि अपराध साबित होने पर मच्छर को आजीवन कारावास अथवा फांसी के दंड का भी प्रावधान हो।

सशक्त होते आम आदमी को ये देख कर अत्यक्त प्रसन्नता ही होगी जब वह न्यायालय के कठघरे में मच्छर को खड़ा देखेगा और उसका वकील पूरा ज़ोर लगा कर ये बोल रहा होगा कि जज साहब यही तो निर्दयी मच्छर जिसके काटने के कारण मेरे पक्ष के व्यक्ति को डेंगू हुआ इसलिए इस मच्छर को सख्त से सख्त दंड मिलना चाहिए।

क्या दिल्ली पुलिस की बड़ सकती हैं मुश्किलें ?

कानून में मच्छरों को गिरफ्तार करने की धारा हुई तो मच्छरों को गिरफ्तार करने का काम पुलिस को मिलेगा और पुलिस की मुश्किले बड़ सकती हैं। वैसे दूसरे राज्यों की पुलिस भेंसे और कुत्ते ढूँढने का काम कर चुकी है और इस बार दिल्ली पुलिस को डेंगू मच्छर ढूंढने का काम मिलेगा। हो सकता है इसके लिए पुलिस ड्रोन कैमरों का प्रयोग करे। किन्तु पुलिस को सबसे अधिक सहायता तो केजरीवाल सरकार द्वारा शीघ्र ही लगने वाले 3.5 लाख कैमरों से मिलेगी जिससे वो दिल्ली के हर मच्छर पर नज़र रख सकेंगे। इन कैमरों से एक लाभ और होगा क्योंकि जैसे ही मच्छर किसी व्यक्ति को काटेगा तो उसकी रिकॉर्डिंग भी हो जाएगी और उसे सबूत के रूप में पेश भी किया जा सकेगा। केजरीवाल जी ने सरकार मे आते ही घोषणा कर दी थी कि कोई आपसे रिश्वत मांगे तो मना मत करना, उसकी रिकॉर्डिंग कर लेना, हम उसे जेल भेजेंगे। इस बार लोग नया अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अगर कोई मच्छर आपको काटे तो मना मत करना, उसकी रिकॉर्डिंग कर लेना, हम उसे जेल भेजेंगे।

सबसे बड़ी समस्या तब आएगी जब किसी मच्छर की पुलिस कस्टडी में मृत्यु हो गई तो! तब तो पुलिस जवाब देना बड़ा कठिन हो जाएगा।

मच्छर राइट्स वाले आंदोलन कर सकते हैं

हमारे देश में मानवता का बोलबाला है। मानवतावादी लोग कुख्यात आतंकवादियों के मानव अधिकारों के भी तुरंत खड़े हो जाते हैं। हो सकता है कि कुछ नए संगठन मच्छरों के अधिकारों के लिए भी खड़े हो जाएँ। कदाचित किसी मच्छर को फांसी की सज़ा हुई तो देश के प्रभावशाली लोग उस डेंगू मच्छर की फांसी को उम्रकैद में बदलने के लिए पत्र भी लिख सकते हैं। जब 257 लोगो की हत्या के दोषी के लिए पत्र लिखे जा सकते हैं तो उस मच्छर के लिए क्यो नहीं जिसने सिर्फ 1 व्यक्ति को मारा है अथवा मरने की स्थिति तक पहुंचाया है। बात तो सोचने की है।

नए विज्ञापन देखने को मिल सकते हैं?

पिछले वर्ष जब केजरीवाल सरकार ने कुछ वेल्डरों और गार्डों को, और किसी को 10 रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा तो तो पूरी दिल्ली में विज्ञापन बोर्ड देखने को मिले कि “35 अफसर गिरफ्तार, 152 सस्पेंड”। दिल्ली वालों कुछ शांति तो अवश्य मिली होगी। किन्तु अब नई कल्पनाएं घोड़े दौड़ा रही हैं कि मच्छर कानून की सफलता के विज्ञापन कैसे होंगे। एक साहब ने मुझसे कहा कि ऐसे विज्ञापन होंगे-

13567 मच्छर गिरफ्तार, 1200 को सज़ा और 57 को फांसी

सशक्त होता आम आदमी

मैंने उन्हे कहा कि अभी रुक जाओ क्योंकि केजरीवाल सरकार खुद सोचेगी कि कैसे विज्ञापन होंगे। उस बेचारे को पता नहीं था कि केजरीवाल सरकार ने अपनी सरकार के विज्ञापन दिखा-दिखा कर और विज्ञापनों से जनता का कल्याण करने के लिए सरकारी पैसे में से 526 करोड़ रुपए अलग रखे हैं।

क्या मोदी सरकार पर लगेगा निशाना?

अगर केजरीवाल सरकार को ये लगा कि पुलिस मच्छरों को ठीक से नहीं पकड़ रही है तो क्या वो पुलिस पर ये आरोप लगाएगी कि ये सब मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है और ये सब केजरीवाल सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। फिर तो समाचार चेनलों पर इसी पर ही चर्चाएँ देखने को मिलेगी। हो सकता है किसी मच्छर नेता को भी किसी चर्चा पर बुलाया जाए और उसका विचार पूछा जाए। ये डेंगू मच्छर अब केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार मे बीच नए संघर्ष का बीज बनेगा। बड़ी ताकत है इस डेंगू मच्छर में।

भाजपा नियंत्रित एमसीडी वालों आप क्या करोगे ?

इस बीच एमसीडी वालों को खुश होने की आवश्यकता नहीं है कि वो इस कानून से बच जाएंगे। जो दिल्ली के गंदगी में मच्छरों की बहुमंज़िला ग्रुप हाउसिंग बनी हुई हैं और उनमे करोड़ों मच्छर पूरी सुख सुविधा के साथ रहते हैं, उसका जवाब एमसीडी को देना पड़ सकता है। हो सकता है कई मच्छर सरकारी गवाह बन जाएँ और ये गवाही दें कि एमसीडी की मेंटेनेंस के कारण मच्छर हाउसिंग सोसाइटीस बड़े मज़े से चल रही है और उनमे दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति हो रही है।। वैसे एमसीडी में तो बीजेपी है ना।

तेरा क्या होगा आम आदमी? पहले वोट दिया, अब…..!!!

सैकड़ों चिकनगुनिया और डेंगू पीड़ित अस्पतालों में चिकित्सा की राह देख रहे हैं और लाखों चिंतित हैं। सबके दिलों में जिसने अपना घर बनाया है वो है डर और असुरक्षा। आम आदमी को तो सहायता चाहिए चाहे वो कानून लाकर आए या केजरीवाल सरकार की ओर से उत्तम अस्पतालों की सुविधा से आए अथवा एमसीडी के कामों से आए। राजनेताओं ये देखो कि दुखी और पीड़ित आम आदमी के हृदय से खून निकाल रहा है, उसकी आँखें नम हैं, मस्तिष्क सुन्न  है और मुंह से कह रहा कि अब तो कुछ कर दिखाओं सरकार…अब तो कुछ कर दिखाओं सरकार।

नोट-इस लेख का उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं अपितु दिल्ली के उत्तरदायी नेताओं को जनता की समस्या का दर्शन कराना है। आशा है कि दिल्ली के राजनेता और अधिक संकल्प से जनसेवा में लग जाएंगे।

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लेखक-जितेंद्र खुराना

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Jitender Khurana

जितेंद्र खुराना HinduManifesto.com के संस्थापक हैं। Disclaimer: The facts and opinions expressed within this article are the personal opinions of the author. www.HinduManifesto.com does not assume any responsibility or liability for the accuracy, completeness, suitability, or validity of any information in this article.

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