विश्वविख्यात् इस्लामी संगठनों में टकराव

टिप्पणी: कई दशक के बाद दारूल उलूम देवबंद और विश्व के सबसे बड़े इस्लामी प्रचारक संगठन तब्लीगी जमात के बीच बढ़ते हुए मतभेद जगजाहिर हो गए हैं। ज्ञातव्य है कि गत तीन वर्षों से तब्लीगी जमात का विवाद दिन-प्रतिदिन गम्भीर रूप लेता जा रहा है। इस विश्वव्यापी संगठन के दो गुटों में आपसी संघर्ष चल रहा है और दोनों के बीच कई बार मारपीट भी हो चुकी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि दारूल उलूम देवबंद ने खुलेआम मौलाना साद कांधलवी गुट की आलोचना की है। इस फतवा से सुन्नी सम्प्रदाय में नए मतभेद उत्पन्न होने की सम्भावना है।

ज्ञातव्य है कि दारूल उलूम देवबंद सुन्नी सम्प्रदाय की विश्वभर में दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा संस्थान है। इसकी स्थापना डेढ़ सौ वर्ष पूर्व एक वहाबी मुहम्मद कासिम ननोतवी ने की थी। इस समय इस संस्थान में पांच हजार मुस्लिम छात्रों को मुफ़्त इस्लामी शिक्षा दी जाती है। उनके रहने, खाने और पुस्तकों आदि की व्यवस्था इसी संगठन द्वारा की जाती है। इस संगठन के प्रशिक्षित इमाम विश्वभर के देशों में इस्लामी मदरसों व मस्जिदों का संचालन करते हैं।

जहां तक तब्लीगी जमात का संबंध है इसकी स्थापना 1926 में मुहम्मद इल्यास कांधलवी नामक मुस्लिम विद्वान ने आर्य समाज द्वारा शुरू किए गए शुद्धी आंदोलन का सामना करने के लिए की गई थी। अमेरिका के प्रमुख गुप्तचर संगठन एफ.बी.आई. के अनुसार तब्लीगी जमात विश्व का सबसे बड़ा इस्लामी जिहादी तैयार करने वाला सबसे बड़ा संगठन है जिसकी शाखाएं विश्व के 159 देशों में पफैली हुई है। इसके समर्थकों की संख्या 20 से 30 करोड़ के बीच बताई जाती है। तब्लीगी जमात का मुख्यालय नई दिल्ली की बस्ती हजरत निजामुद्दीन स्थित बंगला वाली मस्जिद है। 2013 में जमात के तत्कालीन प्रमुख कांधलवी के निधन के बाद इस संगठन के दो गुट हो गए थे। एक गुट मौलाना साद कांधलवी का है जबकि दूसरा गुट मौलाना जहीर का है। इन दोनों गुटों के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है। अब दारूल उलूम देवबंद ने खुलकर मौलाना जहीर का साथ दिया है।

(स्त्रोत-उर्दू प्रेस की समीक्षा और विश्लेषण, दिसंबर1-15 2016 अंक, प्रकाशक-भारत नीति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली)


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