विश्वविख्यात् इस्लामी संगठनों में टकराव

सुन्नी मुसलमानों के दो प्रमुख संगठनों दारूल उलूम देवबंद और तब्लीगी जमात के बीच ठन गई है। इंकलाब (6 दिसम्बर) के अनुसार दारूल उलूम देवबंद ने तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद कांधलवी के खिलाफ फतवा जारी किया है। इस फतवा में यह दावा किया गया है कि तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद कांधलवी द्वारा जो धार्मिक मुद्दों पर प्रचार किया जा रहा है उसके विरूद्ध दारूल उलूम देवबंद को अनेक शिकायती पत्र प्राप्त हुए थे जिनकी जांच करने के बाद यह सिद्ध होता है कि मौलाना साद कांधलवी कुरान व हदीस की जो व्याख्या कर रहे हैं वो गलत है और उन्होंने कई बार इस्लाम के नबियों की शान में भी गुस्ताखी की है। इसके अतिरिक्त तब्लीगी जमात के महत्व और उसके तरीकों के बारे में भी जो बयान वो दे रहे हैं उससे इस्लाम के अन्य संगठनों के प्रति तीव्र आलोचना की झलक नजर आती है। तब्लीगी जमात के वर्तमान नेता का यह रवैया तब्लीगी जमात के अन्य पुराने नेता मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधलवी, मौलाना मुहम्मद यूसुफ कांधलवी और मौलाना इनामुल हसन के विचारों के सर्वथा विपरीत है। फतवा में कहा गया है कि इससे पूर्व भी दारूल उलूम देवबंद की ओर से अनेक बार पत्र लिखकर बंगला वाली मस्जिद (तब्लीगी जमात का मुख्यालय) का ध्यान इस ओर दिलाया गया था मगर इन पत्रों का कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।

हमारा समाज (6 दिसम्बर) के अनुसार दारूल उलूम देवबंद ने मौलाना साद कांधलवी के बारे में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा है कि वो इस्लाम, लोकतंत्र और पूर्वजों के रास्ते से हटते जा रहे हैं उन्हें इससे तौबा करनी पड़ेगी। उन्हें इस संदर्भ में अनेक बार चेतावनी दी गई है। मौलाना साद कांधलवी ने हाल में ही भोपाल में आयोजित तब्लीगी महासमारोह के बारे में एक शरा विरूद्ध बयान देते हुए यह कह दिया कि मक्का और मदीना के बाद सबसे पवित्र स्थान तब्लीगी मरकज हजरत निजामुद्दीन है। उनके इस बयान की मुसलमानों ने कड़ी निंदा की है। दारूल उलूम देवबंद ने फतवा जारी करते हुए यह राय व्यक्त की है कि मौलाना साद कांधलवी अपनी कम जानकारी के कारण कुरान और हदीस के रास्ते से हटते जा रहे हैं और वो गुमराह हो गए हैं। दारूल उलूम देवबंद ने यह चेतावनी दी है कि वो तब्लीगी जमात पर कुल्हाड़ी न चलाए और अल्लाह से तौबा करें।

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