वैदिक धर्म में वर्णव्यवस्था गुण-कर्म-स्वभाव से है। १::-शूद्रो ब्राह्मणतां एति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम् । क्षत्रियाज्जातं एवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च । ।
अनंत श्री विभूषित श्री ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधिश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य भगवान के अमृतवचन :- विद्या- कला- शिक्षा की उपयोगिता:- पूजनीय
विज्ञापन Visit India’s most ethical Real Estate Portal www.Swarnbhoomi.com सम्पादन-जितेंद्र खुराना Twitter-@iJKhurana, Facebook-https://www.facebook.com/iJitenderKhurana सनातन वैदिक धर्म के 28वें वेद व्यास भगवान