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Gavyamrut Arjun Go Ghrit
यह घृत रक्त-सफेद, नीले-पीले रंग के प्रदर रोग, कुक्षि का दर्द, कमर और योनि की पीड़ा, मन्दाग्नि, अरूचि, पाण्डु, दुबलापन, श्वास, कामला आदि स्त्रियों के रोगों का नाश करता है। यह बल और शरीर को कान्ति को भी बढ़ाताहै। यह घृत स्त्रियों के लिए अमृत के समान लाभदायक है। प्रदर रोग में विशेषतया पित्त और वायु के दोष पाये जाते हैं यथा- हाथ पांव में जलन होना, आँखों के सामने चिन्गारियां उड़ना, अन्न नही पचना, भूख न लगना, कमर में दर्दऔर सिर में दर्द होना, आलस्य आदि। इसमें अशोक घृत के उपयोग से बहुत शीघ्रा लाभ होता है, क्योंकि यह प्रकुपित वायु तथा पित्त का शमन कर उसके विकारों को दूर करता है और पाचक पित्त को उत्तेजित करके हाजमाठीक करता है, फिर भूख भी लगती है और खाना हजम होने लगता है। धीरे-धीरे शरीर पुष्ट होकर रोगिणी स्वस्थ हो जाती है। Click on Image Below to order NOW!!
Read moreGavyamrut Kalyan Ghrit
यह घृत उन्माद, अपस्मार, हिस्टीरिया, दिमाग की खराबी, दिमाग की कमजोरी, तुतलापन, अग्निमांद्य, पाण्डू, कन्डू, जहर, सूजन, प्रमेह, कास, श्वास, ज्वर, पारी का ज्वर, वातरोग, जुकाम, वीर्य की कमी, बंध्यापन, बुद्धि की कमी, कमजोरी, मूत्रकृच्छ्र, विसर्प आदि रोगों का नाश करता है। दिमाग की कमजोरी या बौद्धिक परिश्रम करने वालों के लिये तो यह अमृत के समान काम करने वाला है। इस घी के साथ ही ‘‘कुष्माण्डावलेह’’ भी लिया जा सकता है।कुष्माण्डावलेह में इस घी को मिलो देने से जायका भी अच्छा हो जाता है। तथा गुण भी विशेष करता है। Click on Image below to order NOW!
Read moreGavyamrut Changeri Ghrit
यह घृत ग्रहणी, अर्श (बवासीर), गुल्म, हृद्रोग, सूजन, तिल्ली, उदर रोग, आनाह (अफारा), मूत्रकृच्छ्र, ज्वर, खांसी, हिचकी, अरूचि, श्वास और हर प्रकार के गुल्म का नाश करता है। ग्रहणी, गुदभ्रंश (कांच निकलना), अतिसार रोगनष्ट करता है। बल, वर्ण और जठराग्नि बर्द्धक है। Click below to order NOW!! Terms and Conditions as Amazon.in
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