गर्व करो-अमरीका की 25% ईसाई जनसंख्या अनौपचारिक रूप से बन चुकी है “हिन्दू”

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लेखक-जितेंद्र खुराना

जितेंद्र खुराना HinduAbhiyan.com के संस्थापक और हिन्दू जागरण अभियान के संयोजक हैं। वे हिन्दू समाज के जागरण और वैदिक विषयों पर लेखक एवं विभिन्न समाचार चैनलों पर हिन्दू विषयों, धर्मांतरण और हिन्दू समाज पर बड़ रहे संकटों पर प्रमुख वक्ता हैं।

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संयुक्त राज्य अमरीका एक ईसाई बहुत देश है। यदा कदा हमने वहाँ के नेताओं को अमरीका को ईसाई देश कहते भी सुना है किन्तु संविधान के आधार पर अमरीका एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है।

ईसाई ईसा मसीह को मानते हैं और गोड में अपनी आस्था रखते हैं। वे अपनी रिलीजियन पुस्तक “बाइबल” के आधार पर इस जीवन में किए गए पाप-पुण्य के फल को मानते हैं जो मृत्यु के बाद प्राप्त होगा। ईसाई मत में पुनर्जन्म का कोई स्थान नहीं है।

किन्तु हिन्दू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है और मानता है कि जीवन में किए पाप-पुण्यों का फल इस जीवन में अथवा अगले जन्मों में मिलता है जिंनका आधार वेद हैं। पुनर्जन्म के संबन्धित गरुड़ पुराण में भी बहुत जानकारी मिलती है।

हमने कितने ही उदाहरण सुने है और देखें भी हैं जिनमे लोग अपने पिछले जन्म के बारे में बताते हैं और जो व्यक्ति होने के बारे मे कहते हैं, ढूंदे जाने पर उन व्यक्तियों की जानकारी प्रमाणित भी होती है।

जब ऐसी ही पुनर्जन्म की कई घटनाएँ अमरीका में भी सामने आए तो वैज्ञानिकों का दिमाग हिल गया। जहां पुनर्जन्म का कोई स्थान नहीं था वहाँ पुनर्जन्म के उदाहरण दनादन सामने आ रहे थे और वो ईसाईयों में ही जो पुनर्जन्म को मानते ही नहीं।

इस विषय पर अमरीका के वैज्ञानिक इयान स्टेवेंसन ने विश्व के कई शोधकर्ताओं के साथ मिल कर शोध किया और आज वर्जीनिया युनिवर्सिटी, अमरीका के परसेप्चुयल अध्ययन विभाग में पुनर्जन्म के 3000 उदाहरण पूरे शोध के साथ संकलित रखे हैं। इयान स्टेवेंसन जी का देहांत 1988 में हुआ। इयान स्टेवेंसन जी ने दिल्ली युनिवर्सिटी के प्रोफेसर श्री एन के चड्ढा के साथ भी मिल कर कार्य किया था और श्री चड्ढा ने भी भारत के पुनर्जन्म के अनेकों उदाहरण प्रस्तुत किए थे। इस शोध में न्यूनतम से न्यूनतम बिन्दुओं का ध्यान रखा गया था और प्रत्येक उदाहरण को सत्यापित मानने के लिए पुनर्जन्म लिए बच्चे/व्यक्ति के पास लगभग 30 बार जाना पड़ता था जिससे कई कोणों से सत्यापित कर ही पुनर्जन्म को हुआ प्रमाणित माना जाए।

धीरे धीरे पूरे अमरीका में पुनर्जन्म के किस्से प्रसिद्ध होने लगे और ईसाईयों को भी पुनर्जन्म पर विश्वास होने लगा जो कि सर्वथा ईसाई मत के विपरीत है।

अमरीका के ही एक न्यूज़वीक मैगज़ीन ने 31 अगस्त 2009 को एक जनसंग्रह के संदर्भ से ये बताया कि लगभग 25% अमरीकी पुनर्जन्म मे विश्वास करते हैं जबकि वे ईसाई हैं। ये अपने आप में एक ईश्वरीय चमत्कार ही है कि अमरीकी उस ईसाई मत को मानते हैं जो पुनर्जन्म को नहीं मानता है किन्तु हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म की आस्था में विश्वास करने लग गए हैं जबकि उन्हे ऐसा मानने के लिए किसी भी हिन्दू ने नहीं कहा है। जब उनके अपने ईसाई समुदाय में ही पुनर्जन्म होने लग गए तो उन्होने भी पुनर्जन्म के अटल सत्य में अपनी आस्था बना ली। सभी हिंदुओं को इसका स्वागत और सम्मान करना चाहिए।

सच तो ये है कि जब वो पुनर्जन्म मे विश्वास करते हैं तो वे हिन्दू ही बन चुके हैं। आज उनमे हिन्दू धर्म को लेकर जिज्ञासा परम सीमा पर पहुँच रही है और एक दिन परमसत्य सबके हृदय में निवास करेगा।

कुछ समय पहले सुदर्शन न्यूज़ पर प्राइम टाइम शो “बिंदास बोल” पर हुई मेरी चर्चा में भी मैंने इस बात को रखा था जिसे आप यहाँ देख सकते हैं। पाठकों की सुविधा के लिए मैंने एक संक्षिप्त विडियो बनाया है। पाठक मेरे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

https://www.youtube.com/watch?v=gDCdr41u5f0

भारत के हिंदुओं को भी पुनर्जन्म के किस्सों पर आपस में खूब चर्चा करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए। इसके गरुड पुराण सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है।

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Jitender Khurana

जितेंद्र खुराना HinduManifesto.com के संस्थापक हैं। Disclaimer: The facts and opinions expressed within this article are the personal opinions of the author. www.HinduManifesto.com does not assume any responsibility or liability for the accuracy, completeness, suitability, or validity of any information in this article.

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