जो कोई भी हिन्दू धर्मगुरु, विचारक अथवा व्यक्ति सभी धर्म, मज़हब और रिलीजियन को एक जैसा दर्शनशास्त्र कहता है वह महामूर्ख है
भारत में अनेकों धार्मिक, मज़हबी आस्थाएं हैं और सभी का सम्मान है। और सभी में विचारों का आदान प्रदान भी होता रहता है। मैं ये स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि मैं हिन्दू हूँ और अन्य मज़हबी आस्थाओं का सम्मान करता हूँ। साथ ही ये भी मानता हूँ कि सभी का भारत में समान सम्मान है और सदा होना चाहिए। किन्तु जब भी कोई तथाकथित हिन्दू धर्मगुरु अथवा विचारक ये कहता है कि सभी धार्मिक और मज़हबी आस्थाएं दर्शन शास्त्र के आधार पर एक जैसी हैं तो मैं ये स्पष्ट कहूँगा कि वह तथाकथित हिन्दू धर्मगुरु अथवा विचारक महामूर्ख है। इन्ही विचारों से भ्रम पैदा होते हैं।
जब लवजिहाद जैसी स्थिति होती है तब ये विचारक लुप्त हो जाते हैं। ये मंदबुद्धि, अल्पज्ञानी विचारक ही हिन्दू समाज में ये विचार फैलाते हैं कि सभी धार्मिक और मज़हबी आस्थाएं एक जैसी है तो हिन्दू लड़कियों में भी ये भ्रम फैलता है और जब वे लवजिहाद की शिकार हो जाती हैं तब उन्हे पछताना पड़ता है। इन हिन्दू लड़कियों के कष्ट का मुख्य कारण ऐसे अल्पज्ञानी हिन्दू धर्मगुरु ही हैं क्योंकि हिन्दू समाज ज्ञान के लिए हिन्दू धर्मगुरुओं पर ही निर्भर है और उन पर विश्वास करता है। जब कुछ तथाकथित हिन्दू धर्मगुरु ये विचार फैलाते हैं कि सभी धार्मिक और मज़हबी आस्थाएं एक जैसी हैं तो हिन्दू समाज ही भ्रमित होता है।
जहां हिन्दू धर्म पुनर्जन्म को मानता है वही इस्लाम पुनर्जन्म को नकारता है। जहां इस्लाम में केवल अल्लाह ही पूजनीय हैं वही सनातन वैदिक धर्म में ईश्वर काल और स्थितियों के अनुरूप विभिन्न अवतार लेते हैं और वे सभी पूजनीय हैं। इस्लाम दर्शन में अल्लाह कभी अवतार नहीं लेते। अल्लाह अपना संदेश और आदेश अपने पैगंबर के माध्यम से देते हैं और इस्लाम में हज़रत पैगंबर मुहम्मद साहब अंतिम पैगंबर हैं। समाज समय के साथ धर्म के पथ से हट जाता है इसलिए हिन्दू धर्म में ईश्वर अपना संदेश देने के लिए स्वयं अवतार भी लेते हैं और अपने संदेष्टक भी भेजते हैं और सदा भेजते रहते हैं।
इस्लाम में मज़हबी रास्ते पर न चलने पर मृत्यु के बाद जहन्नुम में जाना पड़ेगा जो कयामत के बाद ही होगा। किन्तु हिन्दू धर्म के अनुसार पाप कर्म करने पर मनुष्य योनी से नीचे की योनी जैसे पशु इत्यादि में जन्म मिलता है और पाप फल भोगने के बाद फिर मनुष्य जन्म भी मिलता है जिससे मनुष्य को पुण्य कर्म करने का फिर अवसर मिलता है। मनुष्य पुण्य कर्म करके मोक्ष प्राप्त करता है और ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करता है। इस्लाम में मज़हबी रास्ते में चलने पर कयामत के बाद जन्नत मिलेगी जिसमे पुरुषों को 72 हूरें प्राप्त होंगी जिनसे वह संभोग का आनंद लेगा। इन हूरों से संभोग के लिए पुरुषों को कई गुना शक्ति भी प्राप्त होगी। ये हूरें कुँवारी होंगी। (जन्नत के विषय पर शीघ्र ही मैं एक विस्तृत लेख लिखूंगा) हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्ति पर सभी मानवी इच्छाओं से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी और वह सदा आनंद में रहेगा।
उपरोक्त मैंने कुछ ही शब्दों में हिन्दू और इस्लामी मज़हबी दर्शन में अंतर बताया है। इसीलिए ये स्पष्ट है कि सभी धार्मिक और मज़हबी आस्थाओं का दर्शन बिलकुल अलग है और जो कोई भी व्यक्ति, चाहे वह हिन्दू धर्मगुरु अथवा विचारक ही क्यों न हो, सभी धर्म, मज़हब और रिलीजियन को एक जैसा दर्शनशास्त्र कहता है वह महामूर्ख है
पाठक सुदर्शन न्यूज़ पर बिंदास बोल में बोला मेरा ये स्पष्ट वक्तव्य भी देखें।
https://www.youtube.com/watch?v=9D8Vagkn8os