श्री शिवमहापुराण कथा : रूद्र और अक्ष 2 शब्दों से मिलकर बना रुद्राक्ष, शिव शम्भू के लिए बेहद महत्वपूर्ण – शंकराचार्य महाराज
प्रेस विज्ञप्ति
दिनांक:- 17/04/2023
श्री शिवमहापुराण कथा : रूद्र और अक्ष 2 शब्दों से मिलकर बना रुद्राक्ष, शिव शम्भू के लिए बेहद महत्वपूर्ण – शंकराचार्य महाराज
सलधा/ बेमेतरा/ छत्तीशगढ़। परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ‘1008’ जी महाराज के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यपाद शंकराचार्य जी सोमवार प्रातः भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजार्चन पश्चात भक्तो को दिव्य दर्शन दिए एवं भक्तो को चरणोदक प्रसाद दिए ततपश्चात दूर दूर से आए भक्तो के धर्म सम्बंधित जिज्ञासाओं को दूर किए।
प्रातः 8:30 बजे शिवगंगा आश्रम सपाद से ग्राम पतोरा पहुँचे जहा समस्त ग्रामवासी ने दिव्य दर्शन कर अभिन्दन व पादुकापुजन किए वहां से चलकर बेमेतरा शहर पहुँचे जहा विधायक निवास में आशीष छाबड़ा एवं परिवार द्वारा स्वागत अभिन्दन कर पदुकापुजन किए वही पूर्व में 25 जनवरी से 2 फरवरी तक आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पर रचित “श्रीमद्भागवत यथा प्रवाह” सम्पादन साध्वी पूर्णाम्बा की पुस्तक का विमोचन किया गया। नगर से आए श्रद्धालुओं को आशीर्वाद सहित प्रसाद दिए एवं पुनः शिवगंगा आश्रम सपाद लक्षेश्वर धाम प्रस्थान किए।
दोपहर 3 बजे जगद्गुरु शंकराचार्य शिवगंगा आश्रम से कथा स्थल पहुँचे जहा रामबालक दास जी महाराज, सुरेंद्र छाबड़ा, आशीष छाबड़ा विधायक बेमेतरा, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, अवधेश चंदेल, लाभचंद बाफना, विनिष छाबड़ा, मनोज शर्मा, रघुराज सिंह ठाकुर, विसेसर पटेल, राधेश्याम चंद्रवंशी, लालू मोटवानी, राजेश्वर प्रसाद तिवारी, श्यामसिंह छाबड़ा, लेखमणि पांडेय, गौरीशंकर साहू, संजय हिरानी, टी आर साहू, यजमान व सलधा वासियो ने सामुहिक रूप से पादुकापुजन किए। परम्परा अनुसार आचार्य राजेन्द्र शास्त्री द्वारा बिरुदावली का बखान किया गया ततपश्चात शंकराचार्य ने राम संकीर्तन करा चतुर्थ दिवस के शिवमहापुराण कथा का श्रवण कराना प्रारम्भ किए।
श्री शिव महापुराण कथा के प्रारंभ में शंकराचार्य महाराज ने कहा कि कल यह त्रिवेणी की चर्चा हो रही थी, जिसको शिव त्रिवेणी कहां जा सकता है। यह बताया कि भगवान शिव की पूजा में बैठने से पहले इस बात का ध्यान कर लेना चाहिए कि मैंने पुण्य धारण किया है या नहीं। मेरे गले में रुद्राक्ष की माला है या नहीं और मेरे मन मस्तिष्क में भगवान शिव का नाम है या नहीं यह 3 जहां इकट्ठे हो जाते हैं वहां पर त्रिवेणी बन जाती है। यह त्रिवेणी कौन सी है यह त्रिवेणी वही है जो प्रयागराज में बनती है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। यह भी बताया ब्रह्मा जी ने तौल करके भी देख लिया है।
यह त्रिवेणी वो त्रिवेणी कौन कम कौन ज्यादा ब्रह्मा जी को ठीक पता चल गया है कि इस त्रिवेणी और उस त्रिवेणी में जरा सा भी भेद नहीं है। दोनों एकदम बराबर सिद्ध होती है लेकिन जब हम बता रहे थे, तो वन नाम के बारे में बताया पल नाम के बारे में बताएं। भस्म के बारे में बताया, लेकिन राज के बारे में बताते ही वह समय सामने आ गया इसलिए आज सबसे पहले रुद्राक्ष की थोड़ी सी चर्चा होगी यह रुद्राक्ष आखिर क्या चीज है, जिसका इतना बड़ा महत्व है, जिससे भगवान शिव का इतना ज्यादा लगाव है, जो गले में आकर के लटका लिया जाए धागे में पिरो कर के तो इतना पूण्य प्रदान करने वाला हो जाता है।
हमारे पापों का हनन करने लग जाता है। आखिर रुद्राक्ष में ऐसी कौन सी बात है। कुछ तो है वह क्या है, ऐसी जिज्ञासा उत्पन्न हो तो श्रीशिव महापुराण बताता है कि यह जो रुद्राक्ष है इसका नाम रूद्र और अक्ष 2 शब्दों से मिल बना है। रूद्र माने आप जानते ही हैं भगवान शिव लेकिन उनका नाम रुद्र क्यों पड़ा ? रुद्र माने आशु वाला अक्ष माने आग तो भगवान शिव के रोने से इसका कोई संबंध है। ऐसा कहते हैं। अच्छा भगवान शिव क्यों रोए होंगे जिससे यह रुद्राक्ष बन गया तो क्या हुआ तो शिव पुराण में यह बताया गया 1000 वर्ष तक भगवान शिव समाधि पर बैठे रहे।
आंखें बंद करके अपने प्राणों को नियंत्रित करके अपने परम चित्त को परम परमात्मा में लगा कर के जब भगवान 1000 वर्ष तक समाधि में बैठे रहे तो क्या हो गया। आंखों को श्रम हो गया। वह त्रस्त हो गए उनमें गर्मी हो गई, जब हम आंखें बंद करते हैं हमारी आंखों में गर्मी आ जाती है। आप देखिए आप रात को सो जाते हैं तो कुछ घंटे कोई पांच कोई 6 कोई 7 या 8 कोई किसी दिन और ज्यादा इतनी देर तक आंखें बंद करके सोते रहते हैं, सब खोलने के बाद क्या होता है ?आंखें खोलने के बाद ठीक से दिखाई नहीं देता इसीलिए जो आयुर्वेद के जानकार हैं। वह कहते हैं कि उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो।
सबसे पहला काम क्या है ? उठने के बाद आंखों को धोइये पानी का छींटा मारना, जब आंखों को आप धोते हैं तब तब वह ठीक होती है अन्यथा आंखों की गर्मी बढ़ी हुई होती है। आपने देखा सुना भगवान शिव समाधि में थे व तीसरा नेत्र जाने कब से नहीं खुला वह तो बंद ही था और जब कामदेव को बाण मारा तो तीसरा नेत्र खुल गया। क्योंकि बहुत समय से वह बंद था। इसलिए उसमें ज्यादा गर्मी थी इसलिए बाण मारा उसका परिणाम तो आया कामदेव आया और कामदेव तुरंत जलकर भस्म हो गया।
चतुर्थ दिवस के कथा विश्राम पश्चात संगीतमय आरती में सुरेंद्र छाबड़ा सहित परिवार वालो व दूर दूर से कथा श्रवण करने पहुँचे हज़ारो श्रद्धालुओं ने शिवजी की आरती ।
कथा श्रवण करने मुख्यरुप से ब्रह्मचारी परमात्मानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, ब्रह्मचारी हृदयानंद, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ब्रह्मचारी योगानंद, राकेश पांडेय, धर्मेंद्र शास्त्री, मेघानन्द शास्त्री सहित हज़ारो की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।