ईश्वरीय वाणी वेदों की प्रेरणा-अपने पुरुषार्थ से विरोधियों को नष्ट भ्रष्ट कर दो
ईश्वरीय वाणी वेद सनातन हिन्दू समाज के सर्वोच्च मान्य धर्मग्रंथ हैं। आज कल पश्चिमी शिक्षा के प्रभाव में भारतीय आधुनिक प्रोत्साहनकर्ताओं के पीछे भागते हैं जबकि वेदों से बड़ा प्रेरक कोई भी नहीं है।
ऋगवेद 9.13.9
आततायीयों को नष्ट करते हुए, पवित्रता का प्रचार करते हुए, ज्योति का दर्शन करते हुए तुम सत्य के मंदिर में आसीन होओ।
ऋगवेद 1.37.12
हे वीरों तुम्हारे अंदर जो बल है, उससे तुम राक्षस जनों को डिगा दो, पहाड़ों तक को हिला दो अर्थात अपने पुरुषार्थ से विरोधियों को नष्ट भ्रष्ट कर दो।
अथर्ववेद 10.6.1
मैं अपने पराक्रम से शत्रुता का आचरण करने वाले शत्रु का एवं दुष्ट-हृदयी द्वेषी वैरी का सिर काट डालूँगा। अर्थात धर्म एवं राष्ट्र के शत्रु को मार डालना शास्त्र सम्मत है।