सुनो वामपंथ की लंपट औलादों, चलो आज सीधा सीधा लिख मारते हैं

चलो आज सीधा सीधा लिख मारते हैं। सुनो वामपंथ की लंपट औलादों। एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय का भाई ब्रजेश पांडे बलात्कार और सेक्स रैकेट में फंसा है। तो लड़की का चरित्र बताए रहे हो। ये समझा रहे हो कि ओरिजिनल एफआईआर में उसका नाम नही था। बाद में सामने आया। तुमने आसाराम के बेटे नारायण साई का नाम सुना है। वो जिस मामले में साल 2013 में गिरफ्तार हुआ। वो साल 2002 से 2005 के बीच का मामला था। न यक़ीन हो तो सूरत की पीड़ित महिला के आरोप की एफआईआर निकलवा कर देख लो। पूरे 8 साल बाद की शिकायत थी। फिर भी हुई गिरफ्तारी। नारायण साईं आज भी जेल में है। सूरत की। वो भी राजनीति में दिलचस्पी रखता है। एनडीटीवी वाले रवीश पांडे, अरे हाँ भाई, रवीश कुमार के भाई ब्रजेश पांडे की तरह। चुनाव भी लड़ चुका है। फिर भी मुझे उससे कोई सहानुभूति नही। ऐसे 1000 उदाहरण हैं। गिनवाऊंगा तो बगैर क्लोरोफॉर्म सुंघाए बेहोश हो जाओगे।

किसी वामपंथ के जले हुए बुरादे पर बलात्कार का आरोप लगेगा तो मानक बदल जाएंगे तुम्हारे। तब लड़की का चरित्र बताने की औकात पर उतर आओगे। एनडीटीवी वाले रवीश पांडे, हाँ हाँ वही, ‘बागों में बहार’ वाले रवीश कुमार, के सगे बड़े भाई बृजेश पांडे पर बलात्कार और सेक्स रैकेट का संगीन आरोप लगा है। वो भी एक नाबालिग दलित लड़की ने लगाया है। तो तुम उस दलित लड़की के चरित्र का सर्टिफिकेट जारी किए दे रहे हो। कि वो चरित्रहीन है। रवीश पांडे का भाई मजबूरी में कुर्सी छोड़ने से पहले। बिहार कांग्रेस का प्रदेश उपाध्यक्ष था। तुम तो खा गए होते अभी तक, अगर ऐसे ही कोई बीएसपी का प्रदेश उपाध्यक्ष फंसा होता। कोई समाजवादी पार्टी। या फिर कांग्रेस का ही ऐसा नेता फंसा होता। बशर्ते वो तुम्हारी बिरादरी के ही किसी कॉमरेड का भाई न होता। और बीजेपी का फंस जाता तो फिर तो तुम्हारे थुलथुल थानवी जी ‘हम्मा-हम्मा’ गाते हुए अब ले शकीरा वाला डांस शुरू कर दिए होते। लिख लिखकर, पन्ने के पन्ने। स्याही के मुंह से कालिख का आखिरी निवाला तक छीन लिए होते। अमां, कौन सी प्रयोगशाला में तैयार होता है खालिस दोगलेपन का ये दीन ईमान। थोड़ा हमे भी बताए देओ।

Continued..

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