सेनानायक का साहसिक सन्देश

हमारे थल सेना प्रमुख  जनरल श्री विपिन रावत ने कश्मीर में निरंतर बलिदान हो रहें सेना के जवानों और अधिकारियों पर गंभीर होते हुए बड़ी स्पष्टता से सच्चाई व्यक्त की है। उनका साहसिक कथन “जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल ज्यादा हताहत इसलिए हो रहें है क्योंकि ‘स्थानीय लोग’ उनके अभियान में बाधा डालते है और कई बार आतंकवादियों को भगाने में भी मदद करते है।'” इसके साथ ही उन्होंने अपने कड़े संदेश में स्थानीय कश्मीरी लड़कों को चेतावनी भी दी है कि “जिन लोगों ने हथियार उठाये है और इस्लामिक स्टेट व पाकिस्तान के झंडे लहराकर आतंकवादी कृत्य करते है तो हम उनको राष्ट्रविरोधी तत्व मानेंगे और उनको पकड़ कर उन पर कड़ी कार्यवाही होगी ।”

वर्षो बाद हमारे वर्तमान सेना प्रमुख ने अपनी संवैधानिक भूमिका का जिस निर्भीकता से निर्वाह किया है वह अति प्रशंसनीय व सराहनीय है।जनरल विपिन रावत ने अपने उपरोक्त कथन से यह प्रमाणित कर दिया है कि ‘वोटों की राजनीति’ करने वाले नेताओं का कुछ भी विचार हो पर उनके लिए “राष्ट्र सर्वोपरि” है , अतः वे इसके लिये निरंतर कटिबद्ध रहेंगे।

यहां यह विशेष ध्यान देना होगा कि राजनैतिक विवशता के चलते ही हमारी सरकारें स्थानीय अलगाववादियों व आतंकवादियों के प्रति वैधानिक कार्यवाही करने से बचती आ रही है। जिसका दुष्परिणाम है कि कश्मीर दशकों से आग की लपटों में तपता जा रहा है।

✍ विनोद कुमार सर्वोदय

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